कड़कनाथ का परिचय और जानकारी
कड़कनाथ का उद्भव स्थान मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से हैं इस जिले की पहचान वहां पर पाई जाने वाली मुर्गी की प्रजाति कड़कनाथ के कारण पूरे देश भर में है और विदेश में भी इसकी भारी मांग है कड़कनाथ की उत्पत्ति झाबुआ जिले के कट्ठीवाड़ा अलीराजपुर के जंगल में हुई है और कड़कनाथ को काली मासी भी कहा जाता है kadaknath murgi palan kese kare
क्योंकि इसका मांस चोंच कलगी जुबान टांगे नाखून चंमडी अत्यादी काली होती है यह मेलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है इसकी वजह से हृदय और डायबिटीज मरीजों के लिए उत्तम आहार माना जाता है इसका मां एस स्वादिष्ट और आसानी से बचाने वाला होता है
इसकी यह विशेषता के कारण बाजार में उसकी मांग काफी होती है और उसकी कीमत भी बाजार में बहुत ज्यादा होती है कड़कनाथ की तीन प्रजातियों है (जेट ,ब्लैक , पेंन्सिल्ड , गोल्ड) पाई जाती है जिसमें से जेट ब्लैक प्रजाति सबसे अधिक मात्रा में पाई जाती है और गोल्ड प्रजाति सबसे कम मात्रा में पाई जाती है
न कड़कनाथ का औसत वजन 180 से 200 किलोग्राम तक होता है और मादा कड़कनाथ का औसत वजन 125 से 150 किलोग्राम तक होता है और कड़कनाथ मादा प्रतिवर्ष 60 से 80 अंडे देती है इसके एंड मध्यम आकार के और हल्के भूरे गुलाबी रंग के होते हैं और वजन में 30 से 35 ग्राम तक होते हैं
यह प्रजाति अपने काले मानस और उच्च गुणवत्ता स्वादिष्ट और औषधीय गुण वाला होने के कारण प्रचलित है लेकिन धीरे-धीरे इसकी प्रजातियों में कमी देखने को मिली किसको ध्यान में लेते हुए कृषि विज्ञान केंद्र झाबुआ ने कड़कनाथ को बढ़ावा दिया
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धोनीजी ने कडक्नाथ की फार्मिंग की है उन्होंने मुर्गियों और चूजे कहासे आर्डर किये थे
धोनीजी ने कडक्नाथ फार्मिंग करने के लिए 2000 कडक्नाथ चूजे और कडक्नाथ मुर्गियो का आर्डर Krishi Vigyan Kendra Jhabua से किया था साथ ही युसूफ पठान सर ने भी kvk zhabua में विजिट किया था और कडक्नाथ फार्मिंग की इच्छा व्यक्त की थी
कड़कनाथ मुर्गी पालन कैसे करें और बने लाखो पति/How to Start Kadaknath Chicken Poultry Farming Business 2023
- कड़कनाथ मुर्गी पालन करने से पहले आप कृषि विज्ञान केंद्र या किसी कड़कनाथ मुर्गी पालन की व्यवसाय से संपर्क करके पूरी जानकारी हासिल करें
- पूरी जानकारी हासिल करके मुर्गी फार्म के लिए स्थान का चयन करना चाहिए
- शेड़ का स्थान और शेड़ बनाने का डाइमेंनशन पोल्ट्री फार्म सेटअप तैयार करें साथ ही पुरे सेटअप का कोटेसन तयार करे
- सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाएं पोल्ट्री फार्मिंग के लिए लोन और सब्सिडी से जुड़े लाभ ले
- कड़कनाथ मुर्गियों को बेचने के लिए बाजार का संपर्क करें
- मुर्गियां और चूजे के लिए अच्छे कुकुट पालन केंद्र से संपर्क करें
- मुर्गियां और चूजे के दाने और आहार का अच्छे से व्यवस्था करें
हेलो दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में kadaknath murgi palan kese kare /How to Start Poultry Farming Business in india 2023 के बारे में विस्तार से जानेंगे स्टेप बाय स्टेप कड़कनाथ पालन कैसे करें उसकी पूरी जानकारी मेंने यह आर्टिकल में देने की कोशिस की है
कड़कनाथ मुर्गी पालन में लागत कितनी आती है : Kadaknath murgi palan me kharcha kitna aata hai
Kadaknath Murgi Palan करने में वेसे तो ज्यादा खर्चा नहीं आता फिर भी Kadaknath Murgi Palan करने के लिए आपको जगह की व्यवस्था करनी होती है मुर्गियों के लिए सेड बनवाना पड़ता है और उनके आहार/दाने का प्रबंध करना पड़ता है और सबसे महत्वपूर्ण खर्चा चूजों को खरीद ने पर आता हें
आपके पास अगर खुद की जगह नहीं है तो आप किराये पर जगह ले सकते है और उस पर आप कड़कनाथ मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू कर फिर आपको शेड बनवाने के लिए लगभग 50000 से 70000 रुपये तक खर्चा आसक्ता है और आप 50 चूजो या 50 मुर्गिय के साथ शुरू कर सकते है
और आपको कड़कनाथ मुर्गियों के लिए आहार का प्रबंध करना होगा जिसमे आपका लगभग 15000 रुपये का शुरू में खर्चा आसक्त है और उस से ज्यादा भी थोडा होसकता है चूजे खरीदने में आपको लगभग 10000 रुपये का खर्चा आसकता है इसमें आपका व्यवसाय आराम से शुरू हो सकता है मेने टेबल में चूजो की ओसत कीमत और मुर्गे मुर्गिया की कीमत बताइ है जो आपको kvk zabuva से मिलजायेगा
50 कड़कनाथ मुर्गियों और चूजे के साथ आप इनकी संख्या बढाकर आगे इनको बड़े व्यवसाय का रूप दे सकते हैं एक बात का आप ध्यान रखें की आपको मुर्गी और मुर्गा दोनों ही अपना फार्म में रखने है ताकि इनकी संख्या बढ़ती रहे
कड़कनाथ मुर्गी पालन में कितनी कमाई होती है : Kadaknath Murgi Palan Me Kitni income Hoti Hai
Kadaknath Murgi Palan का व्यवसाय एक बहुत ही फायदे वाला व्यवसाय है नोर्मल बोयलर मुर्गे मुर्गिया की तुलना में कड़कनाथ बहुत महंगे बिकते है और कड़कनाथ मुर्गियों के अंडे भी महंगे दामों पर बिकते है कड़कनाथ की डिमांड पुरे देश में अधिक है और पैदावार कम है इस कारण से अभी कड़कनाथ मुर्गियों का पालन करना बहुत ही फायदेमंद रहने वाला है और अभी विंटर की सारुवात हो चुकी है ज्यादा तर लोग चिकेन और अंडे विंटर में खाना पसंद करते है तो अभी मुर्गी पालन स्टार्ट करना फायदेमंद का सोदा साबित होसकता है
कड़कनाथ मुर्गे की बाजार में कीमत 800 से 1000 रुपये के आसपास है और उस से ज्यादा भी हो सकती है और आप कड़कनाथ मुर्गी के अंडे बेचकर भी अच्छी कमाई कर सकते हैं कड़कनाथ मुर्गी के 1 अंडे की बाजार में कीमत 30 रुपये से 50 रुपये है और अगर आप अपनी इनकम बढ़ाना चाहते है तो आप चूजों को भी बेच सकते है कड़कनाथ मुर्गियों का एक चूजा लगभग 80 से 100 रुपये में बिकता हैकड़कनाथ कितने दिन में तैयार होता है
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Kadaknath Kitne Din Me Taiyar Hota Hai
कड़कनाथ और देशी मुर्गिया को पूर्ण तयार होने में 4 से 5 महीने का समय लगता है और बोयलर मुर्गे 45 से 50 दिन में तैयार हो जाते है कड़कनाथ मुर्गा पूरी तरह से तैयार हो जाये तब ही आप बाजार में बेचें कड़कनाथ मुर्गा बाजार में 1000 रूपए प्रति किलो बिकता है इसलिए जितना अधिक वजन होगा उतना ही आपको फायदा अधिक होगा
कड़कनाथ मुर्गा पालन के फायदे :Kadaknath Murga Palan Ke Fayde
अगर आप कड़कनाथ मुर्गा पालन शुरू करने जा रहे है तो आपको इसके फायदों के बारे पता होना जरुरी है कड़कनाथ मुर्गा पालन के बहुत से फायदे है
मारकेट की डिमांड: कड़कनाथ मुर्गे सेहत के लिए बहुत ही उत्तम माने जाते है इसलिए इनकी बाजार में डिमांड बहुत अधिक रहती है और ये तुरंत बिक जाते है इसलिए मुनाफा ज्यादा होता है
सरीर में रोग प्रतिकारक क्समता: कड़कनाथ में बाकि मुर्गों की तुलना में रोग प्रतिकारक क्समता जयादा होती है इसलिए कड़कनाथ में कोइ बीमारी जल्दी से नहीं आती अगर बीमारी कम आएगी तो आपके मुर्गे स्वस्थ होंगे और आपको किसी भी प्रकार का नुक्सान होनेकी सम्भावना ना के बराबर होगी
कम खर्चा अधिक मुनाफा: कड़क नाथ मुर्गी पालन में आपको खर्चा बहुत ही कम आता है दाना पानी में भी बहुत अधिक खर्च नहीं आता है
कडक्नाथ इंसानी बिमारियों के इलाज में फायदेमंद है : कड़कनाथ का चिकन दिल के मरीजों और डायबिटीज के रोगियों और कैंसर के रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है और अंडे भी बहुत फ़ायदेमंद है कोरोना वाले दर्दी में अंडे खाने से सरिरमे इम्युनिटी बढती है
कड़कनाथ का GI टैग:
Kadaknath एक ऐसी प्रजाति है जिसको Nutritional quality of kadaknath meat by ICAR-NRC on Meat Hyderabad द्वारा Gi tage 2018 मिला हुआ है
मध्यप्रदेश के kvk zabuva के द्वारा हासिल किया गया है कड़कनाथ मुर्गे पालने का पहला फार्म साल 1978 में मध्यप्रदेश में ही स्थापित किया गया था
पोल्ट्री फार्म सरू करने के लिए पेसो आकी वश्यकता:
छोटे पैमाने पर पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए आम तौर पे 50,000 से 1.5 लाख.खर्च आसकता है मध्यम स्तर के पोल्ट्री व्यवसाय के लिए आवश्यक धनराशि लगभग रु. 1.5 लाख से 3.5 लाख. और बड़े पैमाने पर पोल्ट्री फार्म करीब 7 लाख. रुपये के निवेश से शुरू किए जा सकते हैं इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यवसाय मालिक बैंकों और एनबीएफसी जैसे विभिन्न वित्तीय संस्थानों से व्यवसाय ऋण का विकल्प चुन सकते हैं और अपना स्वयं का पोल्ट्री व्यवसाय शुरू कर सकते है व्यवसाय ऋण का विकल्प चुनना एक बुद्धिमान निर्णय माना जाता है, क्योंकि यह व्यवसाय मालिकों को अपनी जीवन भर की बचत का उपयोग किए बिना व्यवसाय निवेश करने में मदद करता है
पोल्ट्री फार्मिंग के लिए बिजनेस लोन देने वाली बेन्के
पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय लोन देने वाले अग्रणी बैंकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
- एचडीएफसी बैंक
- पंजाब नेशनल बैंक
- आईडीबीआई बैंक
- फेडरल बैंक
- करूर वैश्य बैंक
- केनरा बैंन्क
Bank of India and several other financial institutions
कड़कनाथ कुकुटो के आवास की रचना
- मुर्गी आवास सहर या कस्बो से दूर होना चाहिए
- पानी और लाइट की सही व्यवस्था होनी चाहिए
- मुर्गी आवास हाड़ी और नीचले लेख क्षेत्र में नहीं होना चाहिए
- मुर्गी आवास में सही तरह से सूर्य प्रकाश मिलने रहना चाहिए
- और सूर्य प्रकाश सीधा आवास के अंदर प्रवेश न करें उसका भी विशेष ध्यान रखना चाहिए
- अधिक सूर्य प्रकाश से बचने के लिए आवास की लंबाई पूर्व से पश्चिम दिशा में होनी चाहिए
- मुर्गी का आवाज 12 से 15 फीट तक होना चाहिए
- खिड़की से फर्श की ऊंचाई कम से कम 2 फीट होनी चाहिए
- मुर्गी आवास की पैराफिट की दीवार 1 से 1.5 फिट ऊँची होनी चाहिए
- मुर्गी आवास की चौड़ाई 20 से 25 से अधिक नहीं होना चाहिए
- मुर्गी आवास से गंदे पानी की निकास का अच्छा साधन होना चाहिए
- मुर्गी आवास के आसपास झाड़ पेड़ नहीं होना चाहिए
कड़कनाथ कुकुट प्रबंधन
मुर्गी पालन में कुकुट प्रबंधन का महत्व पूर्ण योगदान होता है कुकुट व्यवसाय में अलग-अलग 80 प्रतिशत समस्या हुई कुकुट प्रबंधन में की गई लापरवाही के कारण ही उत्पन्न होती है कडक नाथ पालन को प्रबंधन के पूर्ण जानकारी होनी चाहिए ताकि आर्थिक स्थिति का सामना न करना पड़े गा
मुर्गी सेड में अधिक चुसो का पालन करने से और जगह के अभाव के कारण से बीमारियों की शुरुआत हो जाती है जगह के आभाव के कारण मुर्गी सेड़ में बुरादा गीला हो जाता है फिर अमोनिया बनती है
और साथ संबंधीत समस्या स्टार्ट हो जाती है फिर ईकोलाई बैक्टीरिया आती है और काक्सिडीयोसिस परजीवी आती है पीकिंग नोचना होती है कम जगह की वजेहसे बिमारिय चालू होजाती है
किसी भी मुर्गी पलक को ऐसी समस्या का सामना न करना पड़े उसके लिए मुर्गी फार्म खोलने से पहले उनको मुर्गी पालन की ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए
strawberry farming in india 2023/किसान स्ट्रौबरी की खेती करके बन सकता है लाखों पति
कड़कनाथ चूजे आने की पहले की तैयारी
लकड़ी का बुरादा मुर्गी आवास से दूर फेंक कर जला देना चाहिए छत फर्स दीवार आदि पर ब्रश या बास की झाड़ू की सहायता से घिस कर साफ कर देना चाहिए
निरमा या ब्लीचिंग पाउडर का घोल बनाकर सतह पर 24 घंटे तक भरा रहने देना चाहिए जाली दीवार आदि को अच्छे से साफ कर देना चाहिए फिर धुलाई हो जाने के बाद डिसइनफेक्टेंट दवा का छिड़काव कर के 24 घंटे के बाद चुने में कॉपर सल्फेट के मिश्रण का उपयोग आवास की पूराइ करने में करना चाहिए
पानी के टैंक ड्रम आदि को चुने के घोल से पुताई कर लेना चाहिए डेन एवं पानी के बर्तन को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए और उसे भी डिसएन्फेक्त करके साफ कर स्प्रे कर लेना चाहिए
चूजे आने के 2 दिन पहले से लकड़ी का बुरादा छान कर दो इंच मोटा फर्श पर बिछा देना चाहिए और चिक मेंज /मक्के का दलिया लेकर रख लेना चाहिए और बुरादे के ऊपर पेपर बिछा लेनाचाहिए चूजे आने के पहले ब्रुडर चालू कर लेना चाहिए ताकि ब्रुडर गरम रहे और चुजों के अनुकूल तापमान तैयार हो सके
बुरादा बिछा ने के पूर्व मुर्गी आवास के अंदर सारे उपकरण रख कर परदे से आवास को बंद करके फ्यूमिगेशन या पोटेशियम परमेगेनेट एव फार्मलीन के मिश्रण से धुआ कर लेना चाहिए जिसे सूक्ष्म जीवाणु का नाश हो सके और फ्यूमिगेशन के 24 घंटे बाद कुकुट आवास के पर्दे खोलना चाहिए
गर्मी की मौसम में पतली सुतली के पर्दों का उपयोग करना चाहिए और बरसात के मौसम में प्लास्टिक के पर दो और शीतकालीन मौसम में मोटे बोर के पर्दों का उपयोग करना चाहिए पर्दे हमेशा ऊपर से एक फिट छोड़कर बंद करना चाहिए कोशिश रहे की ज्यादा से ज्यादा शुद्ध वायु चुजों को मिल सके फार्म की धुलाई पुताई होने के बाद कम से कम 5 से 10 दिन तक फार्म खाली रखना चाहिए
कड़कनाथ चूजे के आने के बाद व्यवस्था कैसी होनी चाहिए
यदि हम चूजे सुबह लाते हैं तो जोंचु को तुरंत चिक बॉक्स से अलग कर देना चाहिए दिन का समय चूजो को दाना और पानी पिलाने के हिसाब से अच्छा रहता है यदि चुजों को शाम या रात में लाते हैं तो उस रात चुजो को चिक बॉक्स में रहने देना चाहिए यदि गर्मी के दिन हो तो चूजों को तुरंत चीक्स बॉक्स से अलग कर देना चाहिए
चूजे के आने से पूर्व इलेक्ट्राल युक्त पानी या 8 से 10 प्रतिसत सकर या गुड का पानी तैयार कर लेना चाहिए 3 से 4 घंटे बाद चिक मेंज मक्के का दलिया पेपर के ऊपर फेला देना चाहिए चिक मेज से 8 से 10 किलो प्रति हजार चुजों के हिसाब से छिड़कना चाहिए कमजोर चुजों को हाथ से पकड़ कर दाना एवं पानी देना चाहिए
यदि चूजे एकाएक दाना पानी लेना नहीं समझ पाते तो अभ्यास करना नहीं भूलना चाहिए आवश्यक दावों का संग्रह कर लेना चाहिए जैसे विटामिन बी कंपलेक्स एडी3 इसी एंटीबायोटिक प्रोबायोटिकस इत्यादि पानी शुद्ध एवं स्वस्थ ही उपयोग में लेना चाहिए
Kadaknath Hatchery Unit:
इनक्यूबेटर एक ऐसा साधन है जो अंडों को एक विशेष तापमान पर उन्हें सेने के लिए एक मोड़ के साथ सही आर्द्रता में गर्म रखकर एवियन ऊष्मायन का अनुकरण करता है अन्य शब्दों में इनक्यूबेटर के सामान्य नामों में हैचर सेटर और अंडा सेनेकी मशीन भी कहा जाता हैं
1 से 7 दिन के कड़कनाथ चूजो का रखरखाव
पहला दिन
ब्रुडर का तापमान 90 डिग्री से 96 डिग्री तक होना अति आवश्यक है चुजो को दाना खिलाने और पानी पिलाने का अभ्यास आवश्यक रूप से करना चाहिए पानी में इलेक्ट्राल 24 घंटे तक से देना चाहिए इ केयर सी दिन में एक बार देना चाहिए
और 8 से 10 किलो चिक मेज़ 1000 चूजो पर देना चाहिए मात्र 24 घंटे तक देना चाहिए मात्र 24 घंटो चिक मेज़ पेपर पर बुरक देना चाहिए और उसके बाद के टाइम में बेबी चिक फीडर में फीडिंग करना चाहिए
ध्यान रहे की बुरादे के ऊपर बिछाए गए पेपर कम से कम 6 दिन तक बिछे रहना चाहिए यदि पेपर गिला होता है और फट जाता है तो इसे बदल देना चाहिए
यदि चूजा प्रथम सप्ताह में खुलेमे बुरादेमे चलता है तो उसे आने वाले दिनों में इ कोलाइ या सांस् सबंधी समस्या बनेगी
दुसरे दिन
चिक फिड (स्टार्टस मेस)चालू करदेना चाहिए और चूजो की निगरानी करे की चूजे अछेसे दाना और पानी ग्रहण कर रहें हे की नही और पानी में इलेक्ट्राल ,बी काम्प्लेक्स,ऐडी3इ सी और केयर सी देना चाहिए
तीसरे दिन
विटामिन प्रोबायोटिक्स ई केयर सी दिन में एक बार पानी में देना चाहिए कुर्बानी के बर्तन उपयुक्त मात्रा में होनी चाहिए और पानी के बर्तन उल्टे स्टैंड में लगाना चाहिए ताकि छोटे बड़े सभी चूजे पानी पी सके
चोथे दिन
विटामिन प्रोबायोटिक्स का पानी दिन में एक बार और एंटीबायोटिक दवा का पानी हर पानी में देना चाहिए ब्रुडर की थोड़ी सी साइज़ बड़ा देनी चाहिए चिक गार्ड की चौड़ाई भी बड़ा देनी चाहिए देखना चाहिए चूजे आराम से है या नहीं
पांचवा दिन
विटामिन प्रोबायोटिक्स का पानी दिन में एक बार और एंटीबायोटिक दवा का पानी हर पानी में देना चाहिए अगर जगह की कमी लग रही हो तो चिक गार्ड मिलकर एक कर देना चाहिए इसलिए जगह थोड़ी बढ़ सके और चूजो को भी आराम मिल सके
छठवा दिन
विटामिन और प्रोबायोटिक का पानी देना चाहिए और पेपर हटा देना चाहिए पानी और दाने के बर्तन प्रति हजार चीजों पर 3.3 की मात्रा में लगाना चाहिए
ब्रुडर की ऊंचाई लगभग एक फिट कर देनी चाहिए गर्मी के दिनों में चूजे बिना ब्रुडर के पाले जा सकते हैं प्रकाश के लिए मात्र बल्ब लटका देना चाहिए
सातवां दिन
इलेक्रट्राल प्रत्येक पानी में देना चाहिए और एक इ कैरियर c दिन में एक बार देना चाहिए और लासोटा f1 आंख और नाक में प्रॉपर की सहायता से एक-एक बूंद देना चाहिए टीकाकरण हमेशा ठंडा मौसम में या रात के समय करना चाहिए ताकि चूजे तनाव मुक्त रह सके
कड़कनाथ चूजो में बुरडिंग
बुरडिंग अवस्था चुजे के जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवधि है क्योंकि बोर्डिंग का सही प्रबंधन पहले दिन से लेकर 4 से 6 सप्ताह तक की आयु तक में करना चाहिए जब तक की चूजा अपने आप से सक्षम नहीं हो जाता है तब तक उन्हें कठिन होना है यदि कुकुट पालक ब्रूडिंग के समय सही व्यवस्था नहीं कर पता तो चुजों के मरने की संख्या प्रथम अवस्था में ही 7 से 10% तक हो जाती है
ब्रूडर् क्या है
अधिकतर बास की टोकरी या चद्दर का बना होता है जो चुजों को गर्मी प्रदान करता है इन ब्रुडरो में 100 से 200 वोट के बल्ब लगे रहते हैं जिनके जलने से गर्मी पैदा होती है जो चूजो के लिए ठंड के दिनों में आवश्यक है ब्रुडरो की ऊंचाई प्रथम सप्ताह में 6 से 10 इंच तक होनी चाहिए स्थिति अनुसार ऊंचाई घटाई और बढ़ाई जा सकती है
चिक गार्ड
यह चदर या कार्ड बोर्ड का बना होता है इसकी ऊंचाई लगभग 1 फीट से 1 तथा पट्टी की लंबाई 8 फीट से.5 फीट तक होती है तथा पट्टी की लंबाई 8 फीट से 10 फीट तक होती है चिक गार्ड को ब्रुडरो से 25 से 30 इंच की दूरी से घेर देना चाहिए
वातावरण के मुताबिक इसकी ऊंचाई घटाई और बढ़ाई जा सकती है ब्रुडर के बाहर चेक गार्ड के अंदर दाने और पानी के बर्तन लगा देना चाहिए 6 से 10 दिन के अंदर ब्रुडर की ऊंचाई बढ़ा देनी चाहिए
और गार्ड की आवश्यकता ना हो तो निकाल कर अलग कर देना चाहिए या दो चीज गार्ड मिलाकर एक कर देना चाहिए गर्मी के दिनों में 1 से 2 वॉट विद्युत की खपत प्रति चुजों पर होती है एक चिक गार्ड में ज्यादा से ज्यादा 250 से 300 चुजों की ब्रुडिंग की जा सकती है
ब्रुडिंग तापमान
सही तापमान बनाए रखने को ही ब्रूडिंग कहते हैं अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रथम सप्ताह में 35डिग्री से 37डिग्री बनाये या 90 डिग्री से 95 डिग्री होना अति आवश्यक है प्रथम सप्ताह के बाद प्रति सप्ताह 2.5डिग्री बनाये या 5 डिग्री बनाये तापमान कम करते जाना चाहिए
अंतिम तापमान 21 डिग्री से 30 डिग्री बनाये या 65 डिग्री से 70 डिग्री तक होना चाहिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि चुजो की स्थिति रेहन सेहन से तापमान का अंदाजा लगाना चाहिए यदि चिक गार्ड के अंदर स्वतंत्र रूप से घूम फिर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में यह समझना चाहिए की तापमान चुजों के अनुकूल है
कड़कनाथ चूजो के अनुकूल वातावरण केसे पहचाने
- कड़कनाथकुक्कुट पालकों को मौसम के अनुसार सब तयारी कर लेनी चाहिए
- गर्मी के मौसम की तैयारी – गर्मी के दिनों में चूजों को गर्मी से बचाने के लिए कड़कनाथ पालक को पंखे लगाना चाहिए और खिड़कियों में बोरे के परदे और छत के उपर धान का बोरा के ठेले बिछाना चाहिए।
- षीतकालीन मौसम की तैयारी – चूजों को ठंड से बचाने के लिए गैस ब्रुडर, बास के टोकरे के बू्रडर, चद्दर के बु्रडर, पेट्रोलियम गैस, सगड़ी, कोयला, लकड़ी के गिट्टे, हीटर ये सब तयारी चूजे आने के पूर्व करके रखना चाहिए
तापमान पहचान ने के नियम
यदि चिक गार्ड के सारे चूजे बू्रडर के अंदर घुसकर बैठे हो तो इसका मतलब है कि चिकगार्ड एवं बू्रडर का तापमान चूजों के अनुकूल नही है ऐसी स्थिति में बू्रडर के अन्दर का तापमान बढ़ा देना चाहिए
चूजे बू्रडर के अंदर नही बैठते है या चिक गार्ड के किनारे सट-सट के बैठते है तो इसका मतलब है कि बू्रडर आवष्यकता से अधिक गर्म हो रहा है इस प्रकार की स्थिति में बू्रडर का तापमान कम कर देना चाहिए
और चूजे चिक गार्ड में किसी भी एक दिसा में ढेर (झुंड) के रूप में बैठे रहते हो तो इसका मतलब यह होता है कि चिक हाउस के अंदर कही न कही से सीधी हवा प्रवेष हो रही है और इसका पता लगाकर हवा को बंद कर देना चाहिए
यदि चिक गार्ड एवं बू्रडर के अंदर चूजे स्वछंद विचरण कर रहे हो तो इसका मतलब है कि बू्रडर के अंदर एवं बाहर का तापमान चूजों के अनुकूल है ऐसी अवस्था में कुछ भी परिवर्तन करने की जरुरत नही होती है
कड़कनाथ चूजो में दाना और पानी देने का तरीका
पानी देने का तरीका:
पानी हमेशा साफ और ताजा पिलाना चाहिए पानी देने से पेहले पानी के बर्तन को हमेशा बर्तन धोने के साबुन साफ करके स्वच्छ कर लेना चाहिए और सफाई कर के बर्तन धूप में सुखाकर साफ कपड़े से पोछ कर फिर ताजा पानी पिलाना चाहिए
पानी में विटामिन या कोई भी अन्य दवा देना हो तो सुबह के समय पहले पानी में देना चाहिए दवाइयां पिलाने के लिए कम पानी का प्रयोग करना चाहिए जिस की दवा युक्त पूरा पानी चूजे पी सके दवाई युक्त पानी समाप्त हो जाने के बाद सादा पानी भर के चुजों को दे देना चाहिए
दान देने का तरीका
दान देने से पहले दाने के बर्तनों को भी सफाई कर लेनी चाहिए और दाना फीडरों में इतना भरना चाहिए कि दाना गिर ना पाए दाना भरने के बर्तनों को सप्ताह में दो बार वीं बार या ब्लीचिंग से अवश्य धोना चाहिए
प्रत्येक 2 घंटे में दाना डालना चाहिए या तो फीडर में खाली हाथ चलाना चाहिए ताकि दानों में जो पाउडर हो वह भी दाने के बड़े टुकड़ों के साथ उठता जाय क्योंकि दाने में जो पाउडर होता है आवश्यक तत्व उसी के अधिक मात्रा में पाए जाते हैं
टीकाकरण
टीकाकरण द्वारा कड़कनाथ कुकुट में विषाणु जनिक बीमारियों को रोका जा सकता है विषाणु से होने वाली बीमारी एक बार यदि मुर्गियों में आ जाती है तो मुर्गियां करने लगती है और उनका बचना मुश्किल या असंभव हो जाता है इसलिए विषाणु जनित बीमारियों के बचाव के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है
मुर्गियों का टीकाकरण हमेशा नमी लिए हुये पावडर के रूप में सीसी में बांध आता है जिसके साथ डायल्युट अलग सीसी में आता है यह दो टीका और डाइल्यूट को हमेशा रेफ्रिजरेटर में रखना चाहिए
टीका और डाइल्यूट मिलाने का तरीका
एक स्ट्रेलाइज सूइ की सहायता से ठंडे डाइल्यूट में से 5 मिली डाइल्यूट टीका वाली सीसी में डालना चाहिए
टिका डाइल्यूट को धीरे-धीरे हिलाना चाहिए तथा जब तक टीका का पाउडर एक पारदसी घोल न बन जाए
टिका को हमेशा मुर्गियों की संख्या के अनुसार खरीदना चाहिए जैसे 500 चूजे हैं तो हमें 500 डोज वाला टीका और डाइल्यूट खरीदना चाहिए इसके बाद घोल को निकाल कर डाइल्यूट सीसी में डाल देते हैं और बचे हुए डाइल्यूट से टीका वाली सीसी को दो से तीन बार धोते हैं
इस प्रकार तैयार की गई टीका अच्छी तरह से मिलाकर उसे थर्मोश या थर्माकोल बाक्स में रख लेना चाहिए लेकिन थर्मस या थर्माकोल बाक्स में बर्फ होना चाहिए ताकि टीका हमेषा ठंडा रहे
जब टीका को ड्रापर में लेना हो तो टीका की सीसी को हमेस हिलाना चाहिए और ड्रापर से कम-कम टीका करना चाहिए ताकि टीका जल्दी खत्म हो जायें एवं टीका गरम न होने पाए वो जरुर ध्यान रखे
अंडे वाले कड़कनाथ मुर्गीयों में टीकाकरण डीविकिंग (चोंच काटना) और दिवोर्मिंग कृमिनासक का समय और तरीका
टीकाकरण करने का तरीका:
1. आंख या नाक ड्रापर से
एक बूंद टीका को मुर्गी की आंख या नाक में एक अच्छे ड्रापर की सहायता से डालना चाहिए. मुर्गी को हाथ से नहीं छोड़ना चाहिए जब तक टीका उसके अंदर नहीं जाता
2. पीने के पानी से टीकाकरण करना:
टीकाकरण से पहले मुर्गियों को 1.5 से 2.5 घण्टे तक प्यासा रखना चाहिए इसके लिए, 1.5 से 2.5 घण्टे पूर्व पीने के पानी के सारे बर्तन हटा देना चाहिए
पानी के सारे बर्तनों को धोकर सुखाना चाहिए
पीने का पानी शुद्ध होना चाहिए और दूध पावडर और टीका के अलावा किसी भी अन्य दवा का उपयोग नहीं करना चाहिए
प्रति लीटर शुद्ध पानी में 6 ग्राम दूध पावडर मिलाना चाहिए
बर्फ को सीधे पानी में मिलाकर पानी को ठंडा नहीं करना चाहिए बर्फ के छोटे टुकड़े बनाकर पालीथिन में डाल देना चाहिए. पानी को ठंडा करने के लिए पालीथिन को टीकाकरण वाले ठंडे पानी में हिलाते रहना चाहिए पानी ठंडा होने पर पालीथिन निकालकर अलग कर देना चाहिए
यदि बर्फ बोरिंग या कुए के पानी का हो, तो कड़कनाथ पालक पूरी तरह से विश्वास करता है कि बर्फ में कोई दवा नहीं है तो इस तरह की बर्फ टीकाकरण पानी में डालकर पानी को ठंडा करने में प्रयोग की जा सकती है
पानी ठंडा होने पर टीके डायलूएंट को दूध के साथ मिलाना चाहिए
अब टीके को अधिक से अधिक बर्तनों में कम से कम पानी में डालकर मुर्गी को पिलाना चाहिए इससे बचने के लिए सुस्त और कमजोर चूजों को पकड़कर टीकायुक्त पानी पिलाना चाहिए
टीकायुक्त पानी को पर्याप्त मात्रा में डालना चाहिए ताकि मुर्गीयां एक घंटे के भीतर पानी पी सकें
टीकाकरण करने के लिए टीकेयुक्त पानी की मात्रा इस प्रकार होनी चाहिए
1. प्रति हजार चूजों के लिए 7 दिन की आयु के 7 लीटर
2. 16 दिन की आयु के 1 हजार चूजों के लिए 16लीटर
3. 26 दिन की आयु के एक हजार चूजों के लिए 26लीटर
सावधानियाँ:
मुर्गी को टीकाकरण करने के लिए उपयोग में लाया गया पानी ताजा, स्वच्छ होना चाहिए और मुर्गी को कम से कम 1-2 घंटे प्यासे रखना चाहिए पानी की तड़प को बनाए रखने के लिए, प्यासे रखने के दौरान दाना आवश्यकतानुसार डालना चाहिए
वसा रहित (स्कीम्ड) दूध पावडर ही प्रयोग करें सादा दूध कभी नहीं लेना चाहिए
टीकाकरण हमेशा ठंडे पानी में और ठंडे मौसम में होना चाहिए रात में या सबेरे धूप निकलने से पहले टीकाकरण करने का सबसे अच्छा समय है
ध्यान रखें कि कोई भी मुर्गी बिना टीकाकरण के बाहर नहीं छूटना चाहिए क्योंकि टीकाकरण रहित मुर्गी बीमारी को अन्य मुर्गी यो में फैल सकता है जो मुर्गिघर में लंबे समय तक रह सकता है
टीका खरीदते समय, टीके इसकी एक्सपाइर डेट देखनी चाहिए
मुर्गो में काक्सीडियोसिस होने पर टीकाकरण नहीं करना चाहिए क्योंकि काक्सी टीकाकरण में बाधा डालता है
अंडा देने वाली मुर्गियों में चोंच कटाई:
डीविकिंग अंडा देने वाली मुर्गीयों में बहुत महत्वपूर्ण है जिससे मुर्गी सबसे परेशान होते हैं। इस काम में सावधानी नहीं बरती जाती तो उत्पादन क्षमता कम हो सकती है
ध्यान देने योग्य विषय:
चोंच का कटाव सही होना चाहिए ताकि चोंच भविष्य में न बढ़े
चोंच जल्दी बढ़ जाती है अगर जल्दबाजी में काटी गई है तो और मुर्गियों में चोंच करके एक दूसरे को नोंचना (पिकिंग) होने की पूरी संभावना होती है, और मुर्गियों को सन्तुलित आहार प्राप्त करने में परेषानियों का सामना करना पड़ता है जिससे मुगियों का शारीरिक भार में कमी भी देखने को मिलती है
डिविकिंग करने की विधि (चोंच काटना):
1. चिंक डिविकिंग या पहली डिविकिंग:
यह अंडादेय चूजों में सात दिन से लेकर चौथे सप्ताह के अंदर करना चाहिए यह सवेंदाल्सिल कार्य होता है इसमें चूजों को एक साथ दोनों (ऊपरी और नीची) चोंचों से काटा जाता है इस विधि में, चोंच को काटते समय डीविकिंग मषीन की ब्लेड लाल होने पर ही काटना चाहिए, ताकि चोंच काटने में आसानी हो और चूजों को परेषानी न हो. चोंच को काटते ही गरम ब्लेड में घिसकर जला देना चाहिए, ताकि चोंच का सही आकार मिल सके चोंच को ब्लेड के संपर्क में कम से कम दो सेकेंड तक रखना चाहिए चूजों को पकड़ते समय चारों उंगलियां गर्दन के निचले भाग में होनी चाहिए और एक अंगूठा उनके सिर पर होना चाहिए डीविकिंग करते समय जीभ कट सकती है, इसलिए गर्दन के निचले हिस्से पर हल्का दबाव देना चाहिए ताकि जीभ अन्दर की और सुरक्षित रह सके
2. अंतिम डीविकिंग
16 सप्ताह की आयु में यह करना चाहिए tअकी मुर्गी इस डीविकिंग में सबसे अधिक परेशान होती हैऔर अधिक तनाव का सामना करना पड़ता है और चोंच से अधिक खून बहने से मुर्गी की मोत भी हो सकती है
ब्लेड़ (लाल) गरम होना चाहिए संभव हो तो नयी ब्लेड का इस्तेमाल करना चाहिएं
दोनों चोंचो को अलग-अलग करके काटना चाहिए
चोंच को अंगे्रजी के v वर्णाकार में काटना चाहिए चोंच का निचला भाग ऊपर के भाग से लम्बा होना चाहिए
संभव हो तो डीविकिंग 16 वें सप्ताह में हो ही जाना चाहिए
क्योंकि डीविकिंग का दिन मुर्गी के जीवनकाल का सबसे अधिक तनाव वाला दिन होता है और यदि 16 वें सप्ताह के बाद डीविकिंग करते है तो इसका बहुत असर अण्डों के उत्पादन पर पड़ता है अतः डीविकिंग उचित समय पर होना ही चहिए
मुर्गी यो को डीविकिंग के लिए पहले से तैयार करना चाहिए इसके लिए विटामीन, इलेक्ट्राल आदि 3 दिन पहलेसे 3 दिन बाद तक देना चहिए
खून के बहाव को रोकने के लिए पहले से और 2 दिन बाद तक विटामीन‘k तथा विटामीन-c पीने के पानी में देना चाहिए
कड़कनाथ कुक्कुट खाना
मुर्गी पालन में कुक्कुट दाने पे 70 प्रतिशत खर्च होते है मुर्गी को हर समय ताजा, षुद्ध और संतुलित दाना चाहिए
उम्र के आधार पर विभिन्न तैयार भोजन या घर पर बनाया जा सकता है मुर्गी का आहार हमेसा सुखी जगा पे दनेको हमेशा नमी रहित स्थान पर रखना चाहिए अन्यथा दानामें फंफुद लग सकता है जिससे मुर्गियां बीमार पड़ सकती हैं
लंबे समय तक कुक्कुट हर दिन 100 से 120 ग्राम दाना खाती है
ज्यादातर कुक्कुट आहार मक्का, सोयाबीन की खली, चावल की चोकर और प्रीमिक्स से बनते हैं
किसान अपने खेत में मक्का, सोयाबीन और अन्य फसल उत्पादों का उपयोग करने के लिए इनमें से किसी भी चीज का उपयोग कर सकता है,
सिवाय प्रीमियम के इससे किसानों को कुक्कुट आहार के लिए गाड़ी का किराया की लागत भी बचेगी
माँस के लिए कड़कनाथ मुर्गो के लिए दाने के प्रकार
कड़कनाथ मुर्गो को दो प्रकार का दाना खिलाया जाता है
स्टार्टर मेस: इस प्रकार के दाने में चूजों की जरूरत के अनुसार प्रोटीन और ऊर्जा की समान मात्रा दी जाती है इस तरह के दाने को देने की अवधि ३०० ग्राम वजन तक होती है
फिनिशर मेस: इसे 300 ग्राम भार से चालू करें और अंतिम अवस्था तक चालू रखें इस दाने में 60 प्रतिशत प्रोटीन और 40 प्रतिशत उर्जा होती है
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कड़कनाथ कुक्कुट पालन हेतु मौसम प्रबंधन—
1. बारिश के मौसम में प्रबंधन
हमारे देश में जून से सितंबर तक बरसात होती रहती है इस मौसम में नमी बनी रहती है और सूरज की रोशनी कुक्कट आवास में कम आती है इसलिए बीमारियां बड़ी आसानी से फैलती हैं
बरसात के दिनों में ई. कोलाई नामक बीमारी से सबसे अधिक परेषानी होती है, जिसका मुख्य श्रोत कुंआ या नल है इससे बचने के लिए हमेषा डिस्इफेक्टेन्ट दवा, जैसे ब्लीचिंग पावडर, 6 से 10 ग्राम प्रति 1000 लीटर पानी में मिलाकर उपयोग करना चाहिए
पानी के टेंक को हर समय साफ करना चाहिए और कम से कम एक बार चूने से लिपाइ करना चाहिए
मुर्गी के दाने में एसीडिफाइर्स का उपयोग करना चाहिए
मक्खियों से बचने के लिए मुर्गी घर को हर समय साफ-सुथरा रखना चाहिए
बारिश के दिनों में दूसरी बड़ी समस्या फंगस या फंफुद है जो मुर्गी के दाने में बहुत तीव्रता से फेलती है
यदि मुर्गी दाने में थोड़ी सी नमी आ जाती है, तो फुुंद बड़ी त्रीवता से फेल जाती है
इससे बचने के लिए हमें निम्नलिखित कार्रवाई करनी चाहिए
1 ताजा खाना देना चाहिये
2 टाक्सिन वाईन्डर दवा को आहार में देना चाहिए
डेने के स्टाक को दीवार से एक इंच की दूरी पर लकड़ी के तख्ते पर रखना चाहिए, और हर समय सूर्य का प्रकाश मिलता रहना चाहिए
कुक्कट के खाने के लिए कच्चा माल सूखा होना चाहिए
यदि दाने (भोजन) में फफूंद आ गई है तो ढेले बनने लगते हैं, मुर्गियों को इस भोजन को नहीं देना चाहिए इसके बजाय, इसे तेज धूप में सुखाकर ढेलों में फोड़ देना चाहिए मुर्गियों को इस सूखे आहार में कॉपर सल्फेट माइक्रोसार्व और टोक्सिन बाईन्डर दवा मिलाकर देना चाहिए
यदि मुर्गियों ने फफूंद युक्त भोजन खाया है, तो वे पतली बीट करने लगती हैं क्योंकि फंफुद मुर्गियों के यकृत (लीवर) को खराब कर देता है. ऐसे में मुर्गियों के पीने के पानी में लीवर टोनिक दवा और टोक्सिन बाईन्डर दवा मिलाना चाहिए
बारिश के मोसम में मुर्गियों में बीमारियां ज्यादातर होती है जेसे की ई. कोलाई, डर्माटाईटिस, नेक्रेटिक, एनट्राईटिस, हिपेटाइटिस, काक्सीडियोसिस और फंगस टाक्सिसिटी
शीतकालीन मौसम में कड़कनाथ कुक्कुट के घर की देखभाल:
मुर्गी घर की सफाई
मुर्गी घर की सफाई करने के लिए पुराने कपड़े, बोरे, भोजन और खराब पर्दे को अलग करना या जला देना चाहिए
यदि घर के आसपास वर्शा का पानी हो तो उसे निकाल देना चाहिए और उस जगह पर चूना या ब्लीचिंग पावडर छिडक देना चाहिए
फार्म के चारों ओर उगी घास, झाड़, पेड़ और अन्य वनस्पति को नश्ट करना देना चाहिए
गोदाम में सफाई करना चाहिए और कापर सल्फेट युक्त चूने के घोल से लिपाइ करना चाहिए फफूंद भी ब्लीचिंग पावडर से बाहर निकलना चाहिए
कुंआ, दीवार और अन्य स्थानों को भी ब्लीचिंग पावडर से धोना चाहिए
सितकालीन मौसम में दाने और पानी की भरपाइ करना
शीतकालीन मौसम में दाने की खपत बढ़ जाती है जो मुर्गियों में बीमारी का प्रकोप बताता है शीतकालीन मौसम में मुर्गिया को हर समय दाना मिलना चाहिए
शीतकालीन मौसम में पानी की खपत बहुत कम होती है क्योंकि पानी निरंतर ठंडा रहता है इसलिए कड़कनाथ इसे कम पीते हैं इस समस्या से बचने के लिए मुर्गियों को बार-बार शुद्ध ताजा पानी देना चाहिए
कुक्कुट पालक को ठंड के दिनों में मुर्गी घर को गर्म रखने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए क्योंकि तापमान 10 °C से कम हो जाता है
तब कुक्कुट पालक को आवास के षीषे से ओस की बूंदों से बचने के लिए मजबूत ब्रुडिंग करना चाहिए. ठंडी हवा से बचने के लिए साइड पर्दे मोटे बोरे से लगाना चाहिए और मुर्गी आवास के उपर पैरा या बोरे से ढकना चाहिए
3. गर्मी के सीसन का प्रबंधन
ग्रीष्मकाल में निम्नलिखित समस्याएं प्रभावित होती हैं
ज्यादा गर्मी की वजेसे दाने की खपत कम देखनो की मिलती है
दाने की खपत में कमी की वजेसे उत्पादन में कमी दिखती है
हीट स्ट्रोक या गरमी की वजहसे मुर्गियों की मौत हो जाना
मुर्गी का वजन कम हो जाना
जब गर्मियों का मौसम आता है, तो मुर्गियों का आवास एंक बंद संदुकनुमा होता है, जिस पर गर्म छत, दीवाल, हवा और पर्दे से बंद खिड़कियां होती हैं, जो इतनी गर्म होती है कि मुर्गीयां इस गर्मी को सहने में असमर्थ होती हैं इससे निपटना कड़कनाथ पालक को बहुत मुश्किल होता जाता है इसके लिए कड़कनाथ पालक निम्नलिखित कार्रवाई करना चाहिए
परदों को पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए इसके बजाय परदों को इतना बंद करें कि मुर्गी घर में सीधे लू न लगे
परदे को बंद करने का उद्देश्य सिर्फ इतना होना चाहिए कि ठंडी हवा का प्रवाह और मुर्गी यो को लू से बचाया जा सके
यदि आप एक मुर्गी आवास में हैं और मुर्गियों के वातावरण में आप आराम का एहसास करते है तो यह स्थान मुर्गियों के लिए सही जगह है
सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक मुर्गियों पर गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव होता है, और दाना खाने के बाद गर्मी और बढ़ जाती है
गर्मी के दिनों में हर पानी में इलेक्ट्राल का उपयोग करना चाहिए
गर्मी में दिन के समय में कम दाना और अधिक पानी पीना चाहिए
बोरे का पर्दा लगातार पानी से गीला होना चाहिए
पिंजरे में रहने वाले अण्डादेय मुर्गियों को व्हाटर स्पेयर की सहायता से गीला करते रहना चाहिए साथ ही सिट में पैरा बिछाकर स्प्रिकलर से गीला करते रहना चाहिए
मुर्गी घरों में पंखे या एक्ज़ोसट फेन अवष्य लगाने चाहिए
रात में देर तक दाना देना चाहिए और सुबह जल्दी देना चाहिए
मुर्गी को ठंड़ा पानी देना चाहिए और मुर्गी प्यासी नहीं रहनी चाहिए
दोपहर को मुर्गी को दाना नहीं देना चाहिए
कड़कनाथ कुक्कुट घर की खिड़कियों में पर्दे लगाने का तरीका
जैसा कि हम जानते हैं कि कोई भी घर चाहे वह जानवर पक्षी या इंसानों का हो यदि स्वस्थ हवा और सूरज की रोशनी मिलती है तो सबसे अच्छा होता है मुर्गियों के आवास की खिड़कियों में पर्दे लगाए जाते हैं, जो सूर्य की रोसनी हवा और बरसात के पानी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं
पर्दो को एक फिट हमेषा उपर लगाना चाहिए
गर्मी के दिनों में सूत के वोरे या टाट के पर्दो का उपयोग करना चाहिए
वर्षा और ठंड के मौसम में मुर्गी घर की खिड़कियों को पर्दे से पूरी तरह ढक देता है जिससे अंदर दूषित वायु बन जाती है और बुरादा गिला होने लगता है और मुर्गियों में सांस् सम्भदित बीमारी स्टार्ट होने लग जाती है
फिर मुर्गी यो के पेट में पानी भरना चालू हो जाता है और मुर्गिय मरने लगती है एअलिये किसान भाईयो को ठंड के दिनों ध्यान देना चाहिए की मुर्गी के आवास में सुध हवा आती रहें और दुसित हवा भर निकलती रहे
बीमारी के आगमन की रोकथाम और बचाव
बायोसिक्यूरिटी का उपयोग किया जा सकता है बाहरी पषु पक्षी या व्यक्ति जो बीमारी के कारक लाते हैं उनका मुर्गी आवास में प्रवेश रोकना चाहिए सही टीकाकरण, सही सफाई और बाहरी जीवित प्रायियों का उचित ध्यान ही बीमारियों को रोकने का प्रमुख कारक है
कुक्कुट आवास में बाहरी पषु, पक्षी आदि नहीं आने देना चाहिए
बाहरी वाहनों, जैसे मोटर वाहनों का प्रवेश नहीं होना चाहिए
बिना डीसइन्फेक्ट छिड़काव किये कुक्कुट घर में बाहरी वाहन या व्यवसाय से जुड़े वाहन नहीं जाना चाहिए
बाहरी व्यक्ति के कपड़े, जूते, मोजे आदि अलग अलग रखे उन्हें कुकुट आवास के कपडे पहना के और डीसइन्फेक्ट का छिडकाव करके प्रवेश करावा ना चाहिए अलग अलग मुर्गी आवास में अलग अलग नोकरोको रखना चाहिए
दवा वाले चूजे वाले और मुर्गा खरीदने वालो से मिलनेका समय निचित होना चाहिए और मुर्गी आवास से दूर मिलने की व्यवस्था करनी चाहिए
मुर्गी को एक साथ पालना और बेचना चाहिए ताकि बीमारी संक्रमण को रोका जा सके
आवास से तैयार उत्पादों को बेचने के लगभग दो सप्ताह के बाद पुनः आवास में चूजा पालन नहीं करना चाहिए
लोहे की खिड़की, दरवाजे और दीवाल के कोनों को फयूमीगेसन या फलेगमन से निर्जमीकृत
यदि कोई बाहरी व्यक्ति आवास के मुख्य द्वार पर आता है, तो कीटनाषक के घोल में पैर डुबाकर अंदर प्रवेष करे
मुख्य मार्ग पर और मुर्गी आवास के आसपास चूना छिड़कना चाहिए बहुत महत्वपूर्ण है
मुरगी घरों में पानी की टंकी, पानी के पाईप और पानी पीने के बर्तन बहुत अच्छे से सफाई करना चाहिए
मरी हुइ मुर्गियों को कुक्कुट घर के आसपास नहीं फेंकना चाहिए मुर्गी को जलाना चाहिए या गहरे गड्ढे में दफन करना चाहिए
मुर्गीयो को पिलाने का पानी स्वच्छ होना चाहिए, और ब्लीचिंग पावडर या क्लोरीनीकरण करके इसे शुद्ध करना चाहिए फिर उपयोग में लेना चाहिए
कड़कनाथ चूजों के लिए जगह की आवश्यकता
- उम्र जगह की आवश्यकता
- 1 से 10 दिन 3 चूजें प्रति फीट
- 11-20 दिन 2 चूजें प्रति फीट
- 21 से 32 दिन 1 चूजा प्रति फीट
कड़कनाथ कुक्कुटों में दाना और पानी के बर्तनों की व्यवस्था
- 100 चूजों पर एक आटोमेटिक फीडर या ड्रिकर लगाना चाहिए
- 100 चूजों पर एक पुराना चद्दर का फीडर 2 लगाना चाहिए
- ताकि मुर्गे को दाना खाने और पानी पीने में असुविधा न हो
- दाने और पानी के बर्तनों की ऊंचाई मुर्गे के क्राप या कंध की ऊंचाई के बराबर होनी चाहिए
- और दाना पानी को खराब होने से बचाते हैं अगर उंचाई का ध्यान नहीं दिया गया तो मुर्गे आपस में मिलने लगते हैं मुर्गे दाना खाते समय अधिक दाना गिराते हैं क्योंकि वे बैठकर दाना खाते हैं और उठते नहीं हैं इससे दूसरे मुर्गे को खोने की संभावना कम हो जाती है जिसका असर दुसरे मुर्गे पर पड़ता है और सहिसे खाना न मिलने से वजन में कमी देखने को मिलती है
कड़कनाथ कुक्कुटों की वृद्धि मापने का तरीका
फीड़ कनेक्षन रेस्यों नामक समीकरण से इसका आंकलन किया जाता है जो दाना खाने से वजन बढ़ता है वो वृधि को दिखाता है
कुल वजन खपत (कि.ग्रा.)/कुल मुर्गे का वजन (कि.ग्रा.) अगर एक मुर्गे ने 120 दिनों में 4000 ग्राम. या 4.00 कि.ग्रा. दाना खाया और उसका वजन 120 दिनों में 1100 कि.ग्रा. या 1.10 कि.ग्रा. आया तो 4000 कि.ग्रा. 1100 कि.ग्रा. 31.63 होगा, जिसका मतलब है कि 3.63 कि.ग्रा. दाना देने पर कड़कनाथ मुर्गे ने 120 दिनों में 1.1 कि.ग्रा. वजन पाया है
अण्डादेय कड़कनाथ मुर्गियों का प्रबंधन:
अण्डादेय मुर्गियां ये मुर्गियां केवल अंडे उत्पादन के लिए पाली जाती है इनका वजन बहुत कम होता है कड़कनाथ मुर्गियों से प्रतिवर्श 70-80 अण्डे मिल सकते हैं जबकि व्याइट लेगहार्न मुर्गियों से प्रतिवर्श 320 अण्डे मिल सकते हैं
अण्डादेय मुर्गियों को पालने के तीन चरण हैं
1 चूजों का पालन – एक सप्ताह से आठ सप्ताह तक होता है
2 बाढ़ (ग्रोवर) का पालन – नौ सप्ताह से आठ सप्ताह तक होता है
3 और लेयर (अण्डोत्पादन अवस्था) 19 सप्ताह से 72 सप्ताह तक रहता है
चूजों की देखभाल:
ये अवस्था को बुड़िंग अवस्था है इन चूजों को चिक स्टार्टर मेस दिया जाता है, जिसमें 2750 कैलोरी उर्जा है और 20 पसे में 21 प्रतिशत प्रोटीन होता है 1 प्रतिशत कैल्शियम और 0.45 प्रतिशत फास्फोरस होता है 7 से 8 सप्ताह तक चूजों को चिक स्टार्टर मेस में दाना दिया जाता है इस स्थिति में चूजों का वजन लगभग 450 ग्राम के आसपास हो जाता है
बढ़ (ग्रोवर) पालन का समय:
बू्रडिंग के बाद का समय, और अण्डा उत्पादन के पूर्व का समय बाढ़ (ग्रोवर) का समय कहा जाता है दोनों अण्डा उत्पादन को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
इन दोनों अवस्थाओं पर भविष्य में अण्डादेय मुर्गियों की अण्डोत्पादन क्षमता निर्भर करती है। बाढ़ (ग्रोवर) अवस्था में ग्रोवर मेस दाना 2600 किलो कैलोरी की ऊर्जा, 17–18% प्रोटीन, 1 प्रतिशत कैल्शियम और 0.4 प्रतिशत फास्फोरस से बना होता है
मुर्गियों को लेयर मेस दिया जाता है, जिसमें 2500 कैलोरी उर्जा, 18 प्रतिशत प्रोटीन, 3.5 प्रतिशत कैल्षियम और 0.45 प्रतिशत फास्फोरस होता है, जैसे कि अण्डा उत्पादन शुरू हो जाता है विभिन्न सप्ताहों में अंडे उत्पादिन
लेयर की स्थिति
एक अण्डादेय मुर्गी को अंडा उत्पादन की अवस्था में 42 किलो दाना (आहार)
खाने की आवस्यकता पडती है
अण्डादेय कड़कनाथ मुर्गियों का सप्ताह का प्रबंधन
प्रथम सप्ताह
ब्रुडर का तापमान 90 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए
गुड़, षक्कर, इलेक्ट्रोलाईसस आदि को पानी में मिलाना चाहिए
एण्टीबायोटिक दवायें और विटामीन देना चाहिए
मक्के का दलिया पेपर पर बुरक के देना चाहिए फिर धीरे-धीरे प्लेट, ट्रे, एग ट्रे या फीडर लगा दें ना चाहिए
चूजों को शांतिपूर्ण जगह में पालना चाहिए
पहले ब्रुडर में कमजोर और सुस्त चूजों को पालना चाहिए
पहले दो दिनों में 24 घंटे प्रकाष देना चाहिए
तीसरे दिन आंख में ड्रापर के सहायता से गम्बेरो टीकाकरण देना चाहिए
सातवें दिन लसोटा एफ-1 आई ड्रोप से देना चाहिए
दूसरा सप्ताह
बू्रडर का तापमान 85 से 90॰ कर देना चाहिये बू्रडर गार्ड और ब्रूडर एरिया बढ़ा देना चाहिए
बू्रडर की उचाई बढ़ा देना चाहिए पानी एवं दाने के बर्तन हजार चूजों 20/20 की मात्रा में आवष्यक रूप से रखना चाहिए
और 7 से 10दिन नो में चोंच काटनी चाहिए इसके बाद 3 से 5 दिन तक विटामीन का पानी पीने के पानी में देना चाहिए
देखना चाहिए चूजों की बडवार सामान्य है कि नही
14 वें दिन गम्बेरों इन्टरमीडियेट पानी में एवं 11/12 दिन इन्फेक्षियस
ब्रोन्काइटिस टीकाकरण करना चाहिए
और उनको 16-22घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
तीसरा सप्ताह :
बू्रडर का तापमान 88 से 85 होना चाहिये
बू्रडर एरिया बढ़ा होना चाहिए गर्मी के दिन हो तो पूरे सेड का उपयोग करना चाहिए
मुर्गियों को 14-16घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए षारीरिक वजन 140ग्राम होना चाहिए
मुर्गे के मल की जाॅच करना चाहिए और आवष्यक हो तो एन्अीकाक्सीडियल दवा देना चाहिए
21 वें दिन में टीकाकरण इन्फेक्षियस ब्रोन्काइटिस टीकाकरण आई ड्राप द्वारा करना चाहिए
चैथा सप्ताह
बू्रडर का तापमान 75 से 80 होना चाहिए
बू्रडर और बू्रडर गार्ड पूर्णरूप से हटा देना चाहिए
पप्रत्येक चूजा को 0.5 वर्ग फिट जगह देना चाहिए
उनके दाना बर्तनों में कम-कम और बार-बार डालना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे प्रकाष देना चाहिए
दाने और पानी के बर्तनों की सफाई बराबर ध्यान से रखनी चाहिए
24 वें दिन में गम्बेरों में पानी देना चाहिए
पांचवा सप्ताह :
बू्रडर का तापमान 65 से 75 होना चाहिए
सारीरिक वजन 280ग्राम तक होना चाहिए
मुर्गियों को 10-12घण्टे प्रकाष की आवष्यकता होती है
जो कि सूर्य के प्रकाष से हो जाता है
टीकाकरण रानी खेत बीमारी का और लसोटा टीका 20 से 25दिनों में पीने के पानी के द्वारा करना चाहिए
आहार की मात्रा, पानी तथा बुरादे के प्रबंध पर विषेश ध्यान देना चाहिए
छंटवा सप्ताह:
सारीरिक वजन सामान्य रूप से बन गया हो तो ग्रोवर मेस दाना देना षुरू कर देना चाहिए
सारीरिक वजन 390ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 11 से 12घण्टे प्रकाष देना चाहिए
फाउॅल पोक्स का टीकाकरण कर लेना चाहिए जिस को मांस पेषियों में लगाते है
डर्माटाइटिस ,पंख सड़न बीमारी आ गई है तो तुरंत इसकी दवाई दें
आंठवा सप्ताह :
सा रीरिक वजन 510ग्राम होना चाहिए
सिर्फ दिन का प्रकाष देना चाहिए
कमजोर एवं बीमार पक्षीयों को समूह से अलग कर रखना चाहिए
50 से 55 दिन में लसोटा टीकाकरण पीने के पानी में देना चाहिए
नौवां सप्ताह :
मुर्गियोका सारीरिक वजन 510ग्राम होना चाहिए
सिर्फ दिन का प्रकाष देना चाहिए
दसवां सप्ताह :
सा रीरिक वजन 690ग्राम होना चाहिए
सिर्फ दिन का प्रकाष देना चाहिए
सारीरिक वजन और आकार के आधार मुर्गियों की श्रेणी बना लेना चाहिए
ग्यारवा सप्ताह:
सारीरिक भार 750ग्राम होना चाहिए
12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
इन्फेक्षियष ब्रोन्काइटिस और रानीखेत (लसोटा) टीकाकरण पीने के पानी में देना चाहिए
बांरवा सप्ताह :
सारीरिक वजन 830ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
सभी को कृमिनासक दवा देना चाहिए
काक्सीडियोसिस बीमारी की रोकथाम करनी चाहिए इसके लिए एन्टीकाक्सीडियोसिस दवा देना चाहिए
तैरहवां सप्ताह :
सारीरिक वजन 910ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
रानीखेत बीमारी का आर-2 बी टीकाकरण मांसपेषियों में देना चाहिए
विटामीन अतिरिक्त मात्रा में देना चाहिए
चैदहवां सप्ताह :
सारीरिक वजन 990ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
समूह में सबको देखना चाहिए कि श्रेणीबद्ध करने के पष्चात् बढ़ वर में सामन्य वृद्धि हो रही है कि नही
अंतिम बार चोंच काटने (डीविकिंग) की तैयारी करनी चाहिए
पन्दरवा सप्ताह
सारीरिक वजन 1020ग्राम होना चाहिए
मुर्गीयां स्वस्थ है के नही सारीरिक वजन सामान्य है के नही आहार की खपत ठीक है या नही इन सब बातों का निरीक्षण कर लेना चाहिए
सबको फाउॅल पाक्स टीकाकरण मांसपेषियों में देना चाहिए
16वां सप्ताह :
सारीरिक वजन1080ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
अंतिम बार चैंच काटना (डीविकिंग) करना और डीविकिंग के तनाव से बचाना और विटामीन की मात्रा देना चाहिए
17वां सप्ताह :
सारीरिक वजन 1120ग्राम होना चाहिए।
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
मुर्गीयों के समुह से बांध या कुड़क मुर्गीयों को अलग कर देना चाहिए
अण्डादेय मुर्गीयों को लेयर पिंजरो में रक्ख देना चाहिए, जिसकी चैड़ाई 15 इंच, गहराई 12 इंच एवं उॅचाई 18इंच होना चाहिए
18वां सप्ताह :
सारीरिक वजन 1180ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
क्रमीनिवारण के लिये विडविंग दवा पानी में देना चाहिए
प्री-लेयर मेस आहार देना चाहिए
19 वां सप्ताह:
सारीरिक वजन 1220 ग्राम होना चाहिए
मुर्गियों को 12 घण्टे तक प्रकाष देना चाहिए
प्री-लेयर मेस दाना देना चाहिए
ध्यान से देखना चाहिए कि अण्डों के उत्पादन में वृद्धि हो रही है कि नही
20वां सप्ताह :
शारीरिक वजन 1290ग्राम होेना चाहिए
2. प्रकाष 12 घण्टे 1घण्टा प्रति 5 प्रतिषत अण्डोत्पादन बढ़ने पर देना चाहिए
प्रीलेयर मेस दाना 5 % उत्पादन होने पर चालू कर देना चाहिए
प्रत्येक सप्ताह वजन बढ़ाने वाली दवा एवं विटामीन देना चाहिए
मुर्गीयां अपने जीवन काल का पहला अण्डा इसी सप्ताह में देेती है की नही वो निरिक्सन करना चाहिए
21वां सप्ताह :
प्रकाष हरेक सप्ताह में 15 से 30 मिनिट तक बढ़ाये और 16.5 से 17 घण्टे तक ले जाना चाहिए
संतुलित आहार उपयोग में लेना चाहिए
सफाई का विषेश ध्यान रखना चाहिए
मुर्गियों के अण्डों का संचयन समय पर करते रहना चाहिए
लसोटा टीकाकरण 8 से 12 सप्ताह के अंतराल में देते रहना चाहिए अति अवश्यक है
अंडा देने वाली कड़कनाथ मुर्गीयों में विद्युत (प्रकाष) कार्यक्रम:
जब तक मुर्गीयों का वजन 1300ग्राम न हो जाये तब तक दिन के प्रकाश में वृद्धि नही करना चाहिए प्रकाष के माध्यम से मुर्गीयों की अण्डोत्पादन क्षमता को सुदृढ और परिपक्व बनाया जाता है जिससे मुर्गीयां 19 वें सप्ताह से अण्डोत्पादन 36 वें सप्ताह से मिलता है इसलिये प्रकाष में वृद्धि 20 वें सप्ताह से षुरू कर देना चाहिए
आयु प्रतिदिन बिजली या प्रकाश देने का समय :
1-2 दिन के चूजे 22 घंटे
3-4 दिन के चूजे 20 घंटे
5-6 दिन के चूजे 18घंटे
7-14 दिन के चूजे 16 घंटे
15-21 दिन के चूजे 14घंटे
22-28 दिन के चूजे 12 घंटे
29-133 दिन के चूजे 10-12घंटे
20 सप्ताह के चूजे 11.5घंटे
21 सप्ताह के चूजे 12 घंटे
22 सप्ताह के चूजे 12.5घंटे
23 सप्ताह के चूजे13घंटे
23 से 28वें सप्ताह के बीच में आधे घंटे बिजली या सूर्य प्रकाश में वृद्धि प्रति सप्ताह करना चाहिए जब तक प्रकाष समय 16-17 घण्टे न हो जायें
कड़कनाथ कुक्कुटों में होने वाली बीमारियां :
कुक्कुटों में लगने वाले रोग इस प्रकार के होते है
पुलोरम या सफेद दस्त
यह घातक रोग है मुर्गियों में जो सालमोनेला पुलोरम नामक जीवाणु द्वारा होता है
तीन सप्ताह से कम उम्र के चुजों पर आक्रमण करता है और और चूजे अक्सर मर जाते है,
और जो इस रोग से बच जाते है उनके अण्डों में इस रोग के जीवाणु प्रवेष कर जाते है
इस प्रकार इन अण्डों से निकले चूजों को भी यह रोग लग जाता है
लक्षण :
मुर्गियों में अण्डे देने की प्रतिषत मात्रा में कमी दिखती है
एक सप्ताह से अधिक आयु के चुजों को प्यास बहुत लगती है जुंड में इधर-उधर चक्कर काट ते है सांस लेने में तकलीफ हो और सफेद रंग के पानी जैसे दस्त लग जायें
चूजें अधिक संख्या में मरें
मुर्गियां अण्डे कम दे, कुछ मर जाएं, और अन्य बार-बार सफेद रंग की बीट करें तब आप उनमें पुलोरम रोग की फेलने की संका कर सकते है
आप मरें हुए चूजों को काट कर देखते है तो आपको दिखेगा कि
उनके फेफड़ों पर आवष्यकता से अधिक खून जमा मिलेगा
लीवर पर भुरे रंग के धब्बे दीखते है
दिल के उपरी भाग में थोड़ी सूजन दिख ती है
रोग की रोकथाम :
जीवाणु रोधक (एन्टीबायोटिक) दवाएं जैसे सल्फोनामाइड्स एवं नाइट्रोॅयूरास से इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है लेकिन यह दवाएं पुरी तरह से इस बीमारी को रोकथाम नही कर सकती है
अतः रोगी पक्षियों को नश्ट कर देना हि सबसे अच्छा है तरीका है
2. कुक्कुटों में जुकाम :
मुर्गियों को जुखाम से प्रोटेक्ट करना अतिआवष्यक है यह एक भंयकर रोग है जो एक प्रकार के वायरस के द्वारा फैला जाता है 8 से 16 सप्ताह की आयु के पक्षियों पर इसका आक्रमण विषेश होता है
है और बहुत सी मुर्गीया मर जाती है
लक्षण – पहले पक्षी के नथुनों और आंखों में से पानी बहने लगता है बाद मे यह पानी गाड़ा हो जाता है आखों की पलके चिपक जाती है। पलकों और आखों की एक या दोेनों पुतलियों के बीच पस जैसा पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। पक्षियों को सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती है। वे सुस्त और उदास हो जाते है और बार-बार सिर हिलाते है। वे खांसने और छिकने लगते है। उनका चेंहरा मुंह द्वारा सांस लेने के कारण सूज जाता है।
रोकथाम के उपाय –
बहुत अधिक सारे पक्षी एक ही जगा पर न रखें
कुकुट घरमे हवा के आने जाने का अच्छा प्रंबध करें
कुकुट घरमे नमी ना होने दें
जीवाणु रोधक दवा (एन्टीबायोटिक) पानी में घोलकर पक्षी को पिलाना है
पक्षियों का टीकाकरण समय सर करें
3. कुक्कुटों में खुनी दस्त:
खूनी दस्त (काक्सीडियोसिस) लगने के बाद से विषेश कर तीन से छःसप्ताह के आयु वाले चुजें मर जाते है
रोग चालू होने पर चूजें सुस्त हो जाते है और रोगी चूजें इक्टठे होकर चारों ओर चक्कर काटते फिरते है
उनके पंख मुड़ जाते है पलके झपकने लगती है। भुख नही लगती और बार-बार खून के दस्त होते है
बीट के साथ खून आता है। अधिकांष पक्षी खूनी दस्त लगने के बाद एक सप्ताह से दस दिन के अन्दर मर जाते है
मुर्गियों में रोग कैसे लगता है :
ये रोग परिजीवि से होता है और फेलता है परजीवी पक्षी के खून में रहता है और बीट के साथ खूनी दस्त के रूप में बाहर आता है
जब अन्य पक्षी खूनी दस्त से दूशित पदार्थो (दाना, पानी) को खा लेते है तब उनको भी यह रोग हो जाता है
छे सप्ताह से ज्यादा उम्र वाले पक्षियों को इस बीमारी से कोई हानि नही होती है
परन्तु स्वस्थ चूजों (तीन-छः सप्ताह उम्र) में यह रोग उनके द्वारा फेल सकता है
रोग की रोकथाम :
मुर्गीघर एवं दड़बों को अच्छी प्रकार साफ सुथरा रखें
दड़बों में पक्षियों की संख्या अधिक नही रखें
हर रोज फर्ष पर बीट साफ रखें
रोगी कुक्कुटों का इलाज :
मुर्गियों के दाने या पानी में सल्फामेजाथीन, सल्फाक्यूनाक्सलीन या सल्फाग्वानिडीन दवा देना चाहिए
कुक्कुटों में रानीखेत बीमारी
रानीखेत बीमारी मुर्गीयों का एक भंयकर रोग है जो कभी-कभी इस रोग से सारी मुर्गियां मर जाती है, यह रोग सभी आयु की मुर्गियों पर आक्रमण करता है इस रोग के कारण मुर्गि पालकों को विषेश कर बारिश में भारी नुकसान होती है
चूजों पर इस रोग का साधारण आक्रमण होता है
सुस्त और उनके पंख मुड़े दिखाई देते है, आंखे बंद रखतें हैं, भूख नही लगती है
जल्दी जल्दी सांस लेते है, और कभी-कभी सांस के साथ सीटी की आवाज निकलती है
मुंह से सांस लेते है
ज्वार हो जाता है, प्यास बहुत लगती है, और पीले रंग के पानी जैसे दस्त लग जाते है
चूजे चोंच से कफ निकालने के लिये अक्सर सिर हिलाते हुए दिखाई देते है
रोग के बढ़ने पर चूजें मरने लगते है इसके आक्रमण से जो चूजें बच जाते है उनके गरदन या टांगों को लकवा मार जाता है मुर्गियां इस रोग से ठीक होने के बाद दिखने में तो ठीक लगती है परन्तु आम तौर पर अण्डे नही देती है
कभी-कभी पक्षी की गरदन पीछे की ओर मुड़ जाती है
रोग की भंयकर अवस्था में चूजों में इस बीमारी के केवल कुछ ही लक्षण दिखाई देते है ओर वे अचानक मर जाते है परन्तु प्रोढ़ पक्षी कुछ देर से मरते है
रोग का कारण –
लक्षण :
यह रोग एक प्रकार के विशाणु के कारण होता है जो आंखों से दिखाई नहीं देते है रोग कैसे फैलता है – इस रोग के विशाणु मुर्गी षाला तक जंगली चिड़ीयों, कबूतरों और कौओं या उनकी देखभाल करने वाले व्यक्तियों के द्वारा आते है उनके पानी और आहार में ये विशाणु प्रवेष कर जाते है
जब स्वस्थ पक्षी इस छुत लगे भोजन या पानी को खाते या पीते है तब यह उनको रोग लग जाता है इस रोग से ठीक हूई मुर्गी भी इसके विशाणु स्वस्थ पक्षियों तक ले जा सकती है झुंड में एक बार इस रोग के आरम्भ हो जाने पर रोगी पक्षियों के थुकबीट आदि में यह रोग स्वस्थ पक्षियों में तेजी से फेलता है
रोकथाम कैसे करें :
इस रोग से पक्षियों की रक्षा का एक मात्र तरीका रोक के रोकथाम के उपाय करना है, एक बार रोग आरंभ हो जाने पर कोई भी दवा इलाज नही कर सकती समयानुसार रानीखेत का टीकाकरण चुजों एवं पक्षियों में कराकर निष्चित रूप से इस बीमारी की रोकथाम की जा सकती है
5. कुक्कुटों में चेचक
सभी उम्र की कुक्कुटों को चेचक रोग, सामान्यतः हो जाता है। यह रोग अक्सर गर्मी में होता है और इससे अनेक पक्षी मर जाते है, वे काफी कमजोर हो जाते है ऐसे पक्षियों की बढ़वार ठीक नहीं होती
और उनको अन्य रोग आसानी से लग जाते है यद्यपि यह रोग सब आयु के पक्षियों को लगता है, फिर भी दड़बा घरों से हाल ही में निकाले गए आठ से बारह सप्ताह की आयु वाले चूजों को आसानी से लगता है
छोटे चूजों को दड़बा-घरों में भी चेचक रोग लग जाता है इस रोग से एक बार स्वस्थ हुए पक्षियों को, सामान्यतः यह रोग दुबारा नही लगता
यह रोग एक प्रकार के जीवाणुओं के कारण होता है एक बार आरम्भ हो जाने पर यह रोग बहुत तेजी से फैलता है
चेचक रोग के परिणाम :
चेचक रोग का आक्रमण होने पर मुर्गी का कलगी, चोंच, पलकों, सिर, टाॅगों, पर षरीर के ऐसे ही अन्य पंखहीन भागों पर छोटी, सूखी और भूरे रंग की फॅुसियां खाल से चिपकी रहती है और अन्त में गहरे रंग की हो जाती है जब इस रोग का आक्रमण केवल पक्षी की खाल पर होता है, तब पक्षी की बढ़वार रूक जाती है और अण्डों का उत्पादन भी कम हो जाता है, परन्तु आमतौर पर पक्षी मरता नही है
परन्तु जब रोग का आक्रमण अधिक भयानक रूप से होता है, तब गले, मुॅह और आॅखों में हल्के पीले रंग की झिल्ली सी पड़ जाती है गले और ष्वास नली में छोटी-छोटी फुुंसियां होने के कारण चूजों का दम घूटता है जब आॅख पर आक्रमण होता है, तब पुतली सिर भी सूज जाता है ऐसे सब पक्षी मर जाते है
चेचक की रोकथाम कैसे करें –
चेचक रोग के एक बार आरम्भ होने पर इसकी रोकथाम नहीं कर सकते। रोकथाम का एकमात्र उपाय अपने पक्षियों को चेचकरोधी टीका लगवाना है
चेचक को रोकने के दो किस्म के टीके मिलते है-पिजियन पाॅक्स वैक्सीन और फाउल पाॅक्स वैक्सीन पिजियन पाॅक्स वैक्सीन से चूजे की सुरक्षा होती है और इसका असर लगभग केवल तीन मास तक रहता है परन्तु फाउल पाॅक्स वैक्सीन से पक्षियों की इस रोग से आजीवन रक्षा होती है फाउल पाॅक्स वैक्सीन काॅच की सील बन्द नलियों में सूखा मिलता है
अपने पक्षियों के टीका गर्मियां षुरू होने से पहले ही लगवा दीजिए टीका लगवाने के लिए अपने ग्राम सेवक या पषु चिकित्सा अधिकारीयों से सम्पर्क में रहें
फाउल पाॅक्स वैक्सीन में ग्लिसरीन या नमक का पानी टीका लगाने के ठीक पहले ही मिलाएं
चूजें से डेने के अन्दर कई बार सूई चुभो कर दवा को षरीर में प्रवेष कराइए
दड़बे से दूर वृक्ष की छाया में पक्षियों को टीका लगाकर चूजों को धूप वाले बाड़े में अलग रखिएं, ताकि उनको दड़बें में छूत न लग जाएं
टीका लगाते हुए पक्षियों को स्वयं न पकडियें। बची रह गयी वैक्सीन को जला दीजिए और दवा की खाली षीषी को सुरक्षित जगह में फेंक दीजिए
टीका लगे चूजों से उसी दड़बे की अन्य मुर्गियों या चूजों को यह रोग लग सकता है। इसलिए जब आप यह देखें कि सब पक्षियों के एक ही समय में टीके नहीं लग सकते, तब दड़बे में टीका न लगाइए
छः से आठ सप्ताह की आयु के चूजों के टीका लगाना सबसे अच्छा रहता है
जब चेचक रोग का खतरा हो, तब एक महीने से कम आयु के सब चूजों और अण्डे देने वाले पक्षियों के यदि उनके पहले कोई टीका न लगा हो तो फिजियन पाॅक्स का टीका लगाइयें और कुछ समय बाद फाउल पाॅक्स का टीका लगाइयें
गर्मी में पैदा हुए चूजें कमजोर होते है, उनको पहले पिजियन पाक्स का टीका लगाइयें और कुछ समय बाद फाउल पाॅक्स का टीका लगाइयें
कड़कनाथ कुक्कुटों की बीमारियों को रोकने के तरिके :
बीमार मुर्गियों की पहचान यह है कि मुर्गिय सुस्त हो जाती है भुख और खाने में कमी , पंख नीचे को झुक जाते है तथा पक्षी एकांत में बैठना पसंद करता है
बीमार पक्षी को झुंड से तुरंत हटाये तथा बीमार और स्वस्थ मुर्गियों की देखभाल अलग अलग व्यक्ति करे
बीमार मरे हुए पक्षी को या जला दें या इतना गहरा गाड दें कि उसे कुत्ते इत्यादि न खोदनें पायें
बीमार पक्षियों के प्रबंध में लगा व्यक्ति अपने हाथों को जिवाणु रहित करके ही स्वस्थ पक्षियोें का प्रबधंन करें
दड़बे के सभी उपकरणों को भली भांति प्रकार साफ कर जिवाणु रहित कर लेना चाहिए
मुर्गियों के पीने के पानी में थोड़ा पोटेषियम परमैगनेट मिलाकर सबको पीने को देना चाहिए
किसी भी मुर्गियों के बीमार होते ही डोकटर से सलाह अवष्य लें
कड़कनाथ मुर्गियों और चूजे खरीद ने की ओसत कीमत
S.No. | Kadaknath | Rate/Nos |
1 | 0 Day Old Chick | 65/ |
2 | 07 Day Old Chick | 70/ |
3 | 15 Day Old Chick | 80/ |
4 | Young Hen Bird | 500/ |
5 | Young Male Bird | 800/ |
कड़कनाथ के औषधि गुण
कड़कनाथ के मास में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन तथा वासा न्यूनतम मात्रा में होता है जिससे हृदय रोगी के लिए मांस और डायबिटीज रोगियों के लिए इसके एंड उत्तम माना जाता है कड़कनाथ को काली मासी भी कहा जाता है क्योंकि इसका मांस कलगी , जीभ , टांगे नाखून और चंमडी काली होती है जो की मेलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है
कड़कनाथ के औषधि गुनो के कारण देश के कई राज्य और विदेशी बाजार में कड़कनाथ के मांस और अंडे की मांग ज्यादा हो रही है कोविड के मरीजों के लिए बहुत अच्छा कारगर है इसके मीट में रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ाने की क्षमता होती है और काफी अच्छा रिजल्ट कोविड के मरीजो देखने को आया है
कड़कनाथ और अन्य मुर्गियों की तुलनात्मक पौष्टिक तत्वों की मात्रा
पोषक तत्व | कड़कनाथ | अन्य मुर्गी |
प्रोटीन | 24% | 18-20% |
वसा | 1.94-2.6% | 13-25% |
लिनोलीक एसिड | 24% | 21% |
कोलेस्ट्रॉल | 59 – 60 mg/100gm | 218.12mg/100 |
कडक्नाथ फार्मिंग के जरुरी साधनों
कडक्नाथ खरिदने /ट्रेनिंग और कोंटेक नंबर
Krishi Vigyan Kendra Jhabua
Office Telephone No. 07392-244367 Email- kvk.jhabua@rvskvv.net
Dr. I.S. Tomar, Associate Director Research, Jhabua Mobile No. 8989910003
Sh. D.R. Chouhan, Technical Officer , Mobile No. 9752976879
निष्कर्ष
अंत में हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कड़कनाथ मुर्गा पालन कर आप भी हर महीने कमाए 4 से 5 lakh ,how to start poultry farming कड़कनाथ मुर्गी फार्मिंग करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकता है आपको यह मेरा आर्टिकल पढ़ कर मुर्गी फार्मिंग कैसे करें इसके बारे में पूरी जानकारी मिली होगी इसी तरह के आर्टिकल पढ़ने के लिए मेरी वेबसाइट myknowledgeinfo.com को visite करते रहे मेरा यह लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद
Good knowledge
thanks ji