strawberry farming in india 2023/किसान स्ट्रौबरी की खेती करके बन सकता है लाखों पति

strawberry farming in india2023, strawberry farm near me,स्ट्रौबरी की खेती करके किसान बन सकता है लाखों पति स्ट्रॉबेरी अपनी एक अलग ही रंग और खुशबू के लिए पहचानी जाती है। इसके फल बाजार में 250 से ₹300 किलो तक बिक रहा है। अगर आप कम समय में ज्यादा मुनाफा लेना चाहते हैं तो स्ट्रॉबेरी की खेती करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

अभी तक स्ट्रॉबेरी की खेती केवल ठंडे प्रदेशों में की जाती थी, लेकिन अब गरम जैसे प्रदेशों में भी स्ट्रॉबेरी की खेती खूब हो रही है।
गांव के कई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर कम जमीन से लाखों की आमदनी ले रहे हैं। अब कई जिलों में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती को अपना रहे हैं।

किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अनुदान राशि भी दी जाती है, जिसमें प्लास्टिक मल्चिंग, ड्रिप इरिगेशन और फुवारा सिंचाई यंत्र पर 40-50 प्रतिशत तक अनुदान है, जिसकी वजह से स्ट्रॉबेरी की खेती का लागत मूल्य भी कम हो जाता है।
तो आइये जानते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती की वैज्ञानिक जानकारी जैसे किन परिस्थितियों में स्ट्रॉबेरी की खेती संभव है और इसको लगाने की विधि क्या होनी चाहिए?

Table of Contents

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स्ट्रॉबेरी के लिए जलवायु और मिट्टी केसी होनी चाहिए

स्ट्रॉबेरी फल उत्पादन के लिए सामान्य तापमान 15 से 35 डिग्री होनी चाहिए, लेकिन फूल खिलने के लिए 14 से 18 डिग्री तापमान जरूरी है और कम से कम 10 दिनों तक 8 घंटे से कम सूर्य की रौशनी प्राप्त होनी चाहिए। मिट्टी की बात करें तो इसके लिए स्ट्रॉबेरी को रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी में उगाया जा सकता है मिट्टी साथ ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था अच्छी मानी जाती है मिट्टी का PH मान 6.5 से 5.5 होना चाहिये

स्ट्रॉबेरी की किस्में की सिलेक्शन केसे करे

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  • हमारे देश में स्ट्रॉबेरी की बहुत सारी किस्में उपलब्ध हैं जैसे फेस्टिवल स्वीट चार्ली ,डगलस ,मिशनरी ,कामारोजा फ्लोरिना रेड कोट
  • विंटर डाउन उत्तम किस्म है
  • स्ट्रॉबेरी के पकने के दिनों के आधार पर स्ट्रॉबेरी की किस्मों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
  • जल्दी पकने वाली किस्मे: कामा रोज़ा
  • मध्यम पकने वाली किस्में: winterdown
  • देर से पकने वाली किस्में:नाबेला
  • चुनकर अक्टूबर से मध्य नवंबर तक पौधा लगा सकते हैं इस बात का ध्यान जरूर रखें कि मध्य नवंबर के बाद पौधा लगाने से उपज में तेजी से कमी आ जाती है। इसलिए उचित समय पर ही पौधे लगाएं नई पौधे पुराने पौधों की रनर्स से प्राप्त होता है। चार से छे पत्तियों वाले रनर पौधे रोपाई के लिए उपयुक्त माने गये है।

स्ट्रॉबेरी के लिए भूमि की तैयारी और लगाने की विधि:

  • पौधा लगाने के 15 से 20 दिन के पहले जमीन की एक गहरी और एक हल्की जूताई करले फिर भूमि की तैयारी के समय ही 10 से 12 टन कंपोस्ट, 30किलो नाइट्रोजन, 16 किलो फास्फोरस, 26 किलो पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग करें

    स्ट्रॉबेरी की व्यवसाई खेती उठी हुई क्यारी पर की जाती है। क्यारी की चौड़ाई – 1 से 1.5 मीटर और क्यारी की ऊंचाई – 30 से 35 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली कियारी बनाले। क्यारी की लंबाई आप अपनी सुविधा के हिसाब से रख सकते है। दो उठी हुई क्यारियों की बीच की दूरी 40 सेंटीमीटर रखे। पौधे लगाने से 5 दिन पहले क्यारी को मेटलेग्जिल 0.1 प्रतिशत की घोल से क्यारी को उपचारित करले
  • अब बारी आती है पौधे लगाने की। प्रत्येक की यारी पर पौधों की दो या तीन लाइन 26 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज उपचार कर लगाए। इस प्रकार प्रति एकड़ 22000 से 24,000 पौधों की आवश्यकता होती है।
  • बीजोउपचार के लिए पौधे की जड़ को कार्बेंडाजिम के 2% के खोल में 2-3 मिनट तक दबाए रखें।पौधे को लगाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पत्तियों की संख्या कम छोटी और जड़ों की संख्या ज्यादा होनी चाहिए।साथ ही अधिक ठंड और वर्षा के समय पौधा लगाने का काम बिल्कुल ना करें।
  • स्ट्रॉबेरी की अच्छी और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए वैज्ञानिक द्वारा कुछ विशिष्ट तकनीक अपनाने की सलाह दी जाती है जैसे मल्च, सूक्ष्म सिंचाई

स्ट्रॉबेरी के लिए मल्च क्यों जरुरी है

  • पुआल या प्लास्टिक का मल्च स्ट्रॉबेरी के लिए बहुत ही जरूरी है। यह पानी की बचत के साथ साथ खरपतवार की बढ़वार को पूरी तरह से नियंत्रित करता है और फलों को मिट्टी के संपर्क में आने से बचाता है। साथ ही पकने तक फलों को सुरक्षित भी रखता है।
  • विश्व विद्यालय के शोध में पाया गया है कि मंच के लिए काला प्लास्टिक सबसे ज्यादा उपयुक्त है।इसके उपयोग से फल के आकार, उपज और गुणवत्ता में वृद्धि होती है। अगर प्लास्टिक की मल्च उपलब्ध नही है तो आप पूवाल द्वारा भी इस प्रकार मल्च कर सकते है

स्ट्रॉबेरी के लिए सूक्ष्म सिंचाई के फायदे

  • स्ट्रॉबेरी की सिंचाई की बात करे तो स्ट्रॉबेरी की जड़े बहुत घेरी नही होने के कारण इसमें नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है और इससे फल भी बहुत रसीला होता है। पहली सिंचाई पौधे लगाने के तुरंत बाद करें फिर फलन शुरू होने के पहले 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहे और फलन शुरू होने के बाद 2 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहे स्ट्रॉबेरी के पौधों को बहुत अधिक नमी की आवश्यकता होती है इसकी उथली जड़ों के कारण स्ट्रॉबेरी नमी खींचने की स्थिति के प्रति बहुत संवेदनशील होती है और पानी का TDS 0.7 NETURAL अच्छा माना गया है और पानी का PH 5.5 से 6.5 होना जरुरी है
  • इसलिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी देते रहें ताकि फल बैठने के दौरान 30 सेमी मिट्टी नम रहे, हर तीन से चार दिन में मिट्टी को पानी दें यदि ड्रिप सिंचाई करनी हो तो चार पौधों के बीच प्रतिदिन एक घंटा एक ड्रिपर की व्यवस्था करें तथा ऐसा ड्रिपर चुनें जो प्रति घंटे चार लीटर पानी देता हो।सूक्ष्म सिचाई यह विधि स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए वरदान है । क्यारी बनाने के बाद और पौधा लगाने के पहले आप ड्रिप यानी टपक सिंचाई लगा सकते है। इस विधि से उचित मात्रा और सही स्थान पर सिचाई होती है।।

स्ट्रॉबेरी के लिए पॉलीटनेल फायदे

  • स्ट्रॉबेरी के पौधों को पालेसे से बचाने, अच्छी पेदावार और गुणवक्तायुक्त फल लेने के लिए दिसंबर महीने में इसका उपगोग करे। पॉलीटनेल आप पतली और पारदर्शी प्लास्टिक और बास के सहारे इस प्रकार बना सकते है। ध्यान रहे के इसकी अधिकतम ऊंचाई 60 से 70 सेंटीमीटर ही हो।

स्ट्रॉबेरी के लिए खाद एवं उर्वरक

  • अब बात करते है स्ट्रॉबेरी में प्रगोग होने वाले उर्वरक और खाद की इसकी खेती में खाद और उर्वरक का संतुलत प्रयोग करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी जाच करवाना आवश्यक है। जाच के आधार पर ही आप खाद और उर्वरक का प्रयोग करे तो अच्छा रहेगा। स्ट्रॉबेरी लगाने के पहले क्यारियो पर प्रति वर्गमीटर 500 ग्राम वर्मीकंपोस्ट देना चाहिए। पौधे लगाने के बाद एन. पी. के. 19:19:19 अनुपात की 25 ग्राम मात्रा प्रति वर्गमीटर की दर से पूरी फसल चक्र में करे इस उर्वरक को फर्टिगेशन विधि द्वारा 15 दिनों के अंतराल पर दे इसके अलावा मल्टी प्लेक्स और मल्टी पोटाश का छिड़काव 15 दिनो के अंतराल पर करने से फलों के गुणवत्ता के साथ और फलन भी अच्छा होता है। फल लगने के बाद कैल्शियम नाइट्रेट 1 किलो प्रति एकड़ की दर से प्रत्येक सप्ताह छिड़काव जरूर करें


स्ट्रॉबेरी के कीट एवं रोग:


स्ट्रॉबेरी में लगने वाले प्रमुख कीट है – लाही

  • इसके प्रकॉब से पौधों की पत्तियां चोटी और किनारे से मूड जाती है। इसका प्रकाेब नई कोमल पत्तियों पर ज्यादा होता है। जिस कारण फल बहुत छोटे होते है लाही से बचाव के लिए मेटासिस्टॉक्स 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर तीन दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें।
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( स्ट्रॉबेरी में लगने वाले प्रमुख कीट है – लाही )

स्ट्रॉबेरी कीट – थ्रिप्स

  • यह कीट फूल लगने के समय ज्यादा नुकसान पाहूंचाता है और पत्तियों को खा जाता है। इसके बचाव के लिए कोंनफिडोर 0.5 मिलीलीटर या रिएजेंट 1.5 मिलीलीटर का छिड़काव करें
स्ट्रॉबेरी  कीट - थ्रिप्स

(स्ट्रॉबेरी कीट – थ्रिप्स)

स्ट्रॉबेरी कीट – माइट या लाल मकड़ी:

माइट या लाल मकड़ी:
  • इस कीट का प्रकोब गरम या सूखे मौसम में ज्यादा होता है। यह पौधे की पत्तियों और तेहनियो को खा जाता है और पत्तियों के नीचले सतह पर अंडा देता है। इसके नियंत्र के लिए घुलनशील सल्फर 1.5 ग्राम प्रति लीटर या ओमाइट 1 मिलीलीटर या केलथेन 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख कीट – पत्र छेदक

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख कीट - पत्र छेदक
  • पत्र छेदक इस कीट के लार्वा पत्तियों के किनारों को काट कर छेद करते है और कभी कभी पूरे पौधे को ही नष्ट कर देते है। इसके नियंत्र के लिए स्पिंटर का दो छिड़काव 0.4 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से करें

स्ट्रॉबेरी में लगने वाले रोगों

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग – उकठा

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग - उकठा
  • स्ट्रॉबेरी को सबसे ज्यादा नुकसान उकठा रोग से होता है। इस रोग के कारण पुरानी पत्तियां भूरी और सिकुड़ कर नष्ट हो जाते है। इससे नियंत्र के लिए मिट्टी को ट्राईकोडर्मा से उपचारित करें इसके अलावा पौधों को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम /लीटर से उपचारित कर लगाएं


स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग – ग्रे मोल्ड

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग - ग्रे मोल्ड


स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग – ऐन्थ्रेकनोज

स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग - ऐन्थ्रेकनोज
  • यह रोग पौधे के KRAVUN, फूल और पके फल को प्रभावित करता है। गर्म वातावरण में इसका प्रकाेप ज्यादा होता है। इस से बचाव के लिए केप्टाफ 1.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मीला कर छिड़काव करें।

 स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग – पण चित्ती

 स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग - पण चित्ती
  • इस रोग के कारण फल और पत्तियों पर घेहरे भूरे धब्बे नजर आते है। इससे बचाव के लिए 7 दिनों के अंतरल पर डाईथेन एम 45 का दो ग्राम प्रति लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें।


स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग – चूर्णिल आसिता


स्ट्रॉबेरी के प्रमुख रोग - चूर्णिल आसिता
  • इस रोग के कारण पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ जाती है और बाद में पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखने लगते है।
  • इससे बचाव के लिए घुलनशील सल्फर 1.5 ग्राम प्रति लीटर या काराथेन 0.4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें।

स्ट्रॉबेरी में तुड़ाई एवं भण्डारण और उपज

  • पौधे लगाने के 45 – 50 दिनों में फूल आने लगते है अगले 20 से 25 दिनों में फल पकना शुरू हो जाता है। स्ट्रॉबेरी की भण्डारण क्षमता कम होती है। इसके फल सामान्य तापमान पर आप दो दिनों से ज्यादा नहीं रख सकते है। इसलिए जब दूर के बाजार में फल भेजना हो तो 75% तक पकने पर ही तोड़ ले।
फल की तुड़ाई

फल की तुड़ाई

  • फल की तुड़ाई 2 से 3 दिनों के अंतराल पर ही करे। यह हमेशा ध्यान रखे के फल सुबह के समय तोड़े और फल को तोड़ कर हमेशा छायादार जगह पर ही रखे। किसान भाई आप मार्च महीने तक गुणवत्ता युकत फल प्राप्त कर सकते है और इस प्रकार खेती करने पर लगभग 12 से 18 टन प्रति हेकटर तक फल प्राप्त होता है

मुनाफा

  • प्रति हेकटर फल लगभग 12 से 18 टन प्राप्त होता है स्ट्रॉबेरी की खेती से लगभग साडा चार लाख की सुध आमदनी प्राप्त हो सकती है

निष्कर्ष

अंत में यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि स्ट्रौबरी की खेती करके किसान बन सकता है लाखों पति अगर आप कम समय में ज्यादा मुनाफा लेना चाहते हैं तो स्ट्रॉबेरी की खेती करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है किसान भाइयों स्ट्रौबरी की खेती कैसे करे strawberry farming कर आप कमा सकते हैं लाखों रुपए इस लेख में मैंने आपको स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे इसकी जानकारी दी है. मुझे उम्मीद है  आपको मेरा यह लेख पढ़कर  समझ आ गया होगा स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करे इसी प्रकार के लेख पढने के लिए मेरे ब्लॉग myknowledgeinfo.com को विजिट करते रहें. मेरा यह लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद

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