hello friends आज हम यह लेख में पशुपालन कैसे करें इसके बारेमे बात करेंगे ज्यादा तर हमारा भारत देश पशुपालन करता हे और गांव में सबकी आजीविका पशुपालन पे निर्भर रहती हे तो इस लेख में आपको विस्तार से समजानेकी कोशिस करुँगी पशुपालन कैसे करे
पशुपालन के लिए चार आवश्यक निर्देशॠ
- 1) उत्तम पशु नस्ल
- 2) पशु पोषण
- 3 )डेयरी फार्म प्रबंधन
- 4) पशु रोग प्रबंधन
- डेरी फार्म के स्थल का चयन
- डेयरी फार्म के लिए स्थान उंचा , सुखा और अच्छी तरह से ढलान वाला होना आवश्यक है सड़क से करीब होना चाहिए और मुख मार्ग से थोड़ा दूर होना चाहिए डेरी फार्म के आसपास गुलमोहर और नीम के पेढ भी लगाये ताकि वातावरण ठंडा रहे पानी और बिजली पर्याप्त होनी चाहिए पूर्व से पश्चिम में बाड़ोकी लम्बाइ को रखनी चाहिए
पशुओं का चयन
- पशु की विशेषताएं नस्ल के अनुसार होनी चाहिए
- दूध उत्पादन क्षमता अच्छी होनी चाहिए
- और अच्छे से जांच करनी चाहिए
- पशु शांत स्वभाव का होना चाहिए
- दूध निकालते समय सहयोग करें
- आंख चमकदार और सतर्क होनी चाहिए नाक के ऊपर वाले भाग में नमी होनी चाहिए
- थन पेट के साथ अच्छी तरह और मजबूती से जुड़ा होना चाहिए टिट समान आकार के और एक दूसरे के समान अंतर पे होने चाहिए दूध की नसें बड़ी और घुमावदार होनी चाहिए त्वचा स्वस्थ पतली एवं चमकदार होनी चाहिए
- दूध उत्पादन की दृष्टि से गाय भैंस का चयन
- डेरी शुरू करने से पहले किसान के मन में सवाल होता है कि गाय या भेस की कोंसी नस्ल रखनी हें आपकी डेयरी जिस क्षेत्रों में हो वहां दूध की मांग के अनुसार दुधारू पशुओं का चयन किया जा सकता है
- होल्स्टीन फ्राइज़ियन
- जर्सी
- गिर
- देसी नस्ल काऊ
- भेस
- डेरी फॉर्म में मवेशियों का चयन और खरीदी
- डेरी फार्म या दूध उत्पादन व्यवसाय की सफलता मुख्य रूपसे दुधारू पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता और नियमित बछड़े पर निर्भर रहती है डेयरी फार्म के लिए 25 किग्रा से अधिक दूध देने वाले पशुओं को चुन्ना और रखना चाहिए साथी प्रतिदिन अधिकतम दूध गाय के लिए 25 से 30 किग्रा और भेस के लिए 15 किग्रा वाली गाय भैंस का चयन किया जाता है दुधारू पशुओं की पसंदगी पहली ब्यात और दूसरी ब्यातकी करनी चाहिए
संतुलित आहार के घटक
- 1)हरा चारा : जैसे हरी घास, हरा मक्का
- हरा ज्वार, साइलेज आदिड
- 2)सूखा चारा
- भूसा टुडी पराली
- 3) पानी
- स्वच्छ ताजा पानी
- 4) दाना
- कैटल फीड अच्छी कंपनी का
- Dehues ,cargill
- पशु आहार में मुख्यत्व दो घटक होते है
- चारा
- दाना मिश्रण
- 1)चारा : पशुओं के आहार में चारे का होना अत्यंत आवश्यक है दुधारू पशुओं में वूमेन के सुचारू रूप से काम करने और दूध में सामान्य वसा बनाए रखने में चारे का विशेष महत्व होता है दुधारू पशुओं में अधिक दूध उत्पादन के लिए चारा अधिक से अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए हरे चारे से पशुओं को पोषक तत्व आसानी से मिल जाते हैं हरे चारे में विटामिन की मात्रा अधिक होती है और पशु भी अच्छे चाव से खाते हैं चारा के दो प्रकार होते हैं सूखा चारा और हरा चारा
- (सूखा चारा): सुखारा में पानी की मात्रा 15% से कम होती है सूखी घास जैसे गेहूं का भूसा धान का पुवाल मक्का या जवार अरहर की भूसी मेथी की भूसी मूंग की भूसी मुकुल की भूसी आदि सूखे चारे में हरे चारे की तुलना में कम पोषक तत्व होते हैं
- (हरा चारा):
- दारू पशुओं में अच्छे स्वास्थ्य और अधिक दूध उत्पादन के लिए हरा चारा बहुत जरूरी है हरा चारा पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है स्वादिष्ट पाचक और महंगे दानों की अपेक्षा से सस्ता होता है
- 2) दाना मिश्रण: यह एक मिश्रण है जिसमें दो या दो से अधिक भोज्य पदार्थ होते हैं पोषक तत्व भी चारे की अपेक्षा में अधिक होते हैं इसमें मक्का गेहूं, जो ,जइ बाजरा, आदि ऊर्जा के स्रोत होते हैं और मूंगफली, सोयाबीन ,बिनोला ,सरसों ,अलसी आदि की प्रोटीन स्रोत होते है मिक्सर एव बाकी विटामिन्स मिलाए जाते हैं सभी प्रकार के पोषक तत्व होते हैं इसलिए यह पशुवो के लिए अधिक संतुलित होता है
संतुलित पशु दाना में होने वाले प्रमुख पोषक तत्व:
1. प्रोटीन का स्रोत: विभिन्न प्रकार की खली जैसे मूंगफली की खली बिनौला की खली सोयाबीन की खली सरसों की खली सूर्यमुखी की खली अलसी की खली आदि खली का समावेश किया जाता है
2. ऊर्जा के स्रोत: सभी अनाज जैसे गेहूं, मक्का ,बाजरा, जो, जइ ,चावल की पोलिस गुड का सिरा आदि
3. फसलों के अन्य उत्पाद: गेहूं का चोकर चने की चुरी चने का छिलका अरहर की चुरी चावल की चुनी इत्यादी
4. खनिज मिश्रण: मिनरल मिक्सचर, हर्बल पोषक तत्व, डाई कैलशियम फास्फेट, कैल्साइट पाउडर, साधारण नमक विटामिन ए तथा विटामिन D3,
5. वृद्धी आहार: प्रोबायोटिक, प्रोबायोटिक और हार्मोन आदि
100kg दाना मिश्रण बनानेकी विधि:
खाध सामग्री | मात्रा /प्रतिषत |
मक्का/जो/जइ/गेहूं दला हुआ दरदरा पिसा हुआ | 27 |
गेहूं का चोकर | 30 |
मूंगफली, सोयाबीन, बिनोला, सरसों, अलस सबकी खली | 40 |
खनिज मिश्रण | 02 |
नमक | 01 |
टोटल | 100 kg |
पशु वर्ग | सूखा चारा | हरा चारा | दाना मिश्र |
5 लीटर दूध देने वाली गाय | 4-6 | 25-30 | 1.5-2.0 |
10 लीटर दूध देने वाली गाय | 4-6 | 25-30 | 3.0-4.0 |
15 लीटर दूध देने वाली गाय | 4-6 | 30-35 | 5.0-6.0 |
20 लीटर दूध देने वाली गाय | 4-6 | 40-45 | 6.0-8.0 |
पशु वर्ग | सूखा चारा | हरा चारा | दाना मिश्रा |
5.0 लिटिर देने वाली | 3.0-4.0 | 30.0-35.0 | 1.0-1.5 |
6.0 से 10.0 लिटिर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 35.0-40.0 | 3.5-4.5 |
11.0 से 15.0 लीटर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 35.0-40.0 | 4.5-6.0 |
16.0 से 20.0 लिटिर दूध देने वाली | 5.0-6.0 | 40.0-50.0 | 6.0-8.0 |
पशु के आहार का उपयुकत समय
चारे तथा दाने को अच्छी तरह मिलाकर देना सर्वोत्तम माना जाता है
पशु के पास पूरे दिन भर आहार होना चाहिए
अगर पूरे दिन संभव ना हो तो नीचे लिखी गई विधि के अनुसार उपयोग करना चाहिए
1) सुबह: मिल्क निकालते समय हर एवं सूखे चारे का मिश्रण और दाना
2) दोहपर : हरे और सूखे चारे का मिश्रण
3) शाम : मिल्क निकालते समय हरे और सूखे चारे का मिश्रण और दाना
4) रात : हरे और सूखे चारे का मिश्रण
5) स्वच्छ और ताजे पानी की उपलब्धता 24 घंटे जरूरी है
डेरी पशुओं में पानी की आवश्यकता
*पशु में दूध उत्पादन के लिए जरूरत मंद पानी
पशु पानी लिटिर पसु | दूध उत्पादन लिटिर | पानी लिटिर पसु |
1-4महीने *बछडा/बछडी | – | 5-10 |
*बछडा/बछडी – (5-24 महीने | _ | 10-30 |
दुधारू गाय | 10 – 20 20 – 30 30 – 35 35 – 45 | 70 – 85 87 -102 114-136 132-150 |
दूध ना देने वाली गाय | – | 30-50 |
- पशुओं में खनिज तत्व (मिनरल्स) क्यों जरूरी है
- 1)Ca. P. Mg.Mn.Cu हड्डियों के विकास के लिए
- 2)P,S,Zn,Se : मांसपेशियों के विकास के लिए
- 3)Ca,P,Mg,Zn :दूध उत्पादन के लिए
- 4)Zn,Cu.Mn.Se : त्वचा और बालो का आवरण और खुर के स्वास्थ्य के लिए
- 5)P,Cu,Zn,Se,Mn : प्रजनन क्षमता के लिए
- 6)Mg,k,Zn,Co : भूख के लिए
- 7)Mg,P,Cu,K,Na : स्नायु तंत्र के लिए
- 8)Cu,Zn,Mn,Se,l : भ्रूण विकास के लिए
- 9)Cu.Zn.Mn.Se : रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए
- चारे और दाने को अच्छी तरह मिलाकर देना चाहिए दाने के टुकड़े ज्यादा बड़े नहीं होने चाहिए नहीं तर अनपचे होकर गोबर से बाहर आजाएंगे
*दूध धोने के तुरंत बाद आहार अवश्य दें क्योंकि इस समय दुधारू पशु ज्यादा भूखे होते हैं - पशु को दिनभर स्वच्छ एवं ताजा पानी आवश्यक है क्योंकि दूध का ज्यादा हिस्सा पानी से बनता है *चारे ओर दाने में सडन और फंगस /फफूंदी नहीं होनी चाहिए इसलिए दाने तथा चारे को सुखी जगह पर रखना चाहिए
- हरे तथा सूखे चारे को 1 से 2 इंच की लंबाई में काटना चाहिए
*ज्यादा बारीक कटा हुवा चारा पर्याप्त समय तक पेट में नहीं रह पाता जिसके वजह से पाचन कम होता है - साथ ही ज्यादा बड़ी लंबाई का चारा भी ठीक से बच नहीं पाता
( पशु स्वास्थ्य प्रबंधन /रोग प्रबंधन)
दुधारू पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए स्वास्थ्य प्रबंधन और रोग प्रबंधन जैसे बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए
पशु के आवास की साफ सफाई नियमीत रूप से रोजाना करनी चाहिए
गोबर को पशु के आवास से 30 से 40 फीट की दूरी तक फेकना चाहिए ताकि मक्खियों से फैलने वाले रोग से निजात पा सके और मच्छर का उपद्रव कम हो सके
गर्मियों में वातावरण का तापमान बढ़ने के कारण पशु अत्यंत तनाव में रहते हैं तनाव से बचने के लिए पशु को दिन में एक और दो बार पानी से जरूर नेहलाना चाहिए
आवास में पानी की उपलब्धता 24 घंटे जरूर होनी चाहिए
पशु का आवास हवादार होना चाहिए
पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए
संतुलित आहार में मिनरल मिक्चर और कैल्शियम की अहम भूमिका होती है इसलिए इनका मिश्रण आहार में जरूर देना चाहिए
हर 3 महीने में कृमि नाशक दवाई देनी चाहिए नियमित कुर्मी नाश करें पशुओं का भीतरी और बाहरी कीड़ों का कृमीनाशन हर 3 महीने के अंतराल में करना चाहिए
दुधारू पशुओं को नियमित रूप से टीकाकरण करना चाहिए ताकि पशु कम से कम बीमार पड़े
टीकाकरण अनुसूची
क्रम | बीमारी का नाम | पहला टीका | बूस्टर डोज़ | नियमित डोज़ |
1 | खुर पका मुंह पका | 4 महीना या उससे ज्यादा | – | १ महिना पहली टिका के उपरांत 6 माह पर |
2 | गलघोटू – | 6 महीना या उससे ज्यादा | – | संभावित क्षेत्रों में वार्षिक |
3 | लंगड़ा बुखार | 6 महीना या उससे ज्यादा | – | संभावित क्षेत्रों में वार्षिक |
4 | ब्रूसेलोसिस | 8 महीने के बीच केवल मादा को | – | जीवन में एक बार |
5 | थीलेरीयोसिस | 3 महीना या उससे ज्यादा | – | जीवनमें एक बार केवल ,संकर नस्ल के लिए |
6 | एंनथ्रेक्स | 4 महीना या उससे ज्यादा | – | संभावित क्षेत्रों में वार्षिक |
- डेरी के प्रति मेरा अनुभव: डेरी हमेशा दो पशुओं से स्टार्ट करनी चाहिए डेरी एक हार्ड वर्क है पशुओं को बच्चों की तरह रखना पड़ता है उनकी बीमारी को भी समझना पड़ता है पशु बोल नहीं सकता उसकी वजह से हमें उसका खाना-पीना का ध्यान रखना चाहिए कि पशु कितना खा रहा है कितना जुगाली कर रहा है उसका टेंमपरेचर कितना है वह सब बाहर से हमें देख कर ध्यान रखना पड़ता है और पशु पालक के पास हमेशा टेंमपरेचर मापने का उपकरण होना चाहिए क्योंकि पशु जब चारा खाना बंद कर दे तो हमें उसका शरीर का तापमान टेंमपरेचर मशीन से मापके पता कर सकते हैं कि उसको बुखार है कि नहीं फिर हम डॉक्टर को बुला सके और हमेशा डॉक्टर अच्छे से सीखा हुआ बुलाना चाहिए और हमारे पशु की बीमारी बहार से अच्छे से पहचान सके और अच्छे से उसकी ट्रीटमेंट कर सके
डेयरी फार्म खोलने से पहले हमें पशुओं में होने वाली बीमारी के बारे में पता होना चाहिए पशुओं में डॉक्टर जोंस की होम्योपैथिक दवाई बहुत कारगर होती है
जैसे बुखार के लिए broncho-vet
थनैला के लिए Masti plus
आफरा के लिए Gasso-vet
और बहुत सारी होम्योपैथिक दवाई आती है पशु के लिए यह दवाई हमको रखनी चाहिए क्योंकि इमरजेंसी में डॉक्टर ना सके तो हम यह होम्योपैथिक दवा यूज़ करके हमारे पशु को ठीक कर सकते हैं
मैं मेरी डेयरी फार्म में Dr.John’s की होम्योपैथिक दवाई यूज करती हूं और मुझे इसका रिजल्ट भी बहुत अच्छा मिला है
डेयरी फार्मिंग को कैसे प्रॉफिट में लाएं
1) जितना खुद का चारा हो सके उतना अच्छा है
मिलकिंग के लिए मिल्किंग मशीन का यूज करें उससे मिलकिंग निकालने में सहायता हो जाती है - *और चारा काटने के लिए चारा काटने की मशीन का यूज करें क्योंकि उससे लेबर कम खर्च होता है कभी कबार चारा काटने के लिए लेबर भी नहीं मिलते हो सके तो डेरी फार्म में मशीनरी के उपयोग करें क्योंकि उससे डेयरी फार्मिंग का काम इजी हो जाता है
आप डेयरी फार्मिंग का काम करना चाहते हैं और आपके सिवा किसी और को डेयरी फार्मिंग में इंटरेस्ट ना हो तो प्लीज डेयरी फार्मिंग का प्लान ना करें क्योंकि इसमें एक से ज्यादा लोगों की जरूरत होती है एक ही वयकती अकेला काम नहीं कर पाता क्योंकि डेरी फार्मिंग एक बहुत हार्ड वर्क है
और ज्यादा profit लेने के लिए आपको फील्ड में milk sell करना पड़ेगा
*पशु को रहने के लिए उसका सेट खुला और हवादार बनाना चाहिए क्योंकि काऊ जितना खुले में घूमेंगे उतना उसका हेल्थ अच्छा रहेगा और मिल्क भी ज्यादा करेगी - निष्कर्ष: अंत में यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि पशुपालन में पशु पोषण सबसे महत्वपूर्ण अंग है पशुओं में आहार के अवयव और मात्रा पशु की शारीरिक अवस्था और दूध उत्पादन क्षमता के अनुसार कम या अधिक होती रहती है और और असंतुलित आहार से पशु कम दूध देता है उत्पादन खर्च अधिक रहता है तथा पशु का स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता भी प्रभावित रहती है अंतः पशुओं को स्वस्थ और उत्पादन सिलता बनाए रखने हेतु उन्हें उचित मात्रा में संतुलित आहार देना आवश्यक है
- दोस्तों इस लेख में मैंने आपको पशुपालन कैसे करे इसकी जानकारी दी है. मुझे उम्मीद है आपको मेरा यह लेख पढ़कर समझ आ गया होगा पशुपालन कैसे करे . पशुपालन से सबंधित इसी प्रकार के लेख पढने के लिए मेरे ब्लॉग myknowledgeinfo को विजिट करते रहें. मेरा यह लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ||